भव्य रथ यात्रा के साथ दहशरा उत्सव संपन्न, देवालयों को लौटे देवी-देवता

Saturday, Oct 07, 2017 - 01:04 AM (IST)

कुल्लू: अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में रघुनाथ जी के पवित्र रथ की डोर को स्पर्श कर हजारों लोगों ने पुण्य कमाया। जय श्रीराम के उद्घोष के साथ अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का शुक्रवार को समापन हुआ। रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर से शुरू हुई रथ यात्रा कैटल मैदान तक पहुंची। इसके बाद कुल्लू के राज परिवार के सभी सदस्य रघुनाथ जी के छड़ीबदार महेश्वर सिंह सहित लंकाबेकर की ओर बढ़े। देवी हिडिम्बा भी लंकाबेकर गईं। यहां रावण वध की रस्म को निभाया गया और लंका दहन के प्रतीक के तौर पर झाडिय़ों को जलाया गया। इस दौरान ढालपुर मैदान जय श्रीराम के उद्घोष से गूंजता रहा और सभी श्रीराम के जयकारों के साथ आगे बढ़ते गए। हजारों लोग दशहरा उत्सव के समापन मौके पर अधिष्ठाता रघुनाथ जी की रथ यात्रा के साक्षी बने।

हजारों लोग खींच रहे थे रथ 
लंका दहन के बाद रघुनाथ जी का रथ कैटल मैदान से अस्थायी शिविर की ओर बढ़ने लगा और हजारों लोग रथ को खींच रहे थे। इसी दौरान हजारों की संख्या में लोग दोनों ओर भव्य रथ यात्रा की एक झलक पाने के लिए खड़े रहे। जैसे-जैसे रथ आगे बढ़ता गया दोनों ओर खड़ी भीड़ भी रघुनाथ जी के जयकारों के साथ रथ के पीछे चलती गई। रथ मैदान में पहुंचने के बाद रथ यात्रा का समापन हुआ और अधिष्ठाता रघुनाथ जी ने दशहरा उत्सव में आए सभी देवी-देवताओं को विदा करके रघुनाथपुर का रुख किया।

रघुनाथ जी से विदा लेकर देवालयों को लौटे देवी-देवता
शुक्रवार को रघुनाथ जी के सुल्तानपुर स्थित अपने देवालय में विराजमान हुए। रघुनाथ जी से विदा लेकर जिला कुल्लू जिला के विभिन्न इलाकों से आए देवी-देवता भी अपने अपने देवालयों को लौटे। रथ यात्रा में कई देवरथ शामिल हुए। पारंपरिक वाद्य यंत्रों की ध्वनि से गूंजता ऐतिहासिक ढालपुर मैदान एक अद्भुत देव नजारे से सराबोर रहा। रघुनाथ जी की विशेष पूजा-अर्चना से शुरू हुई रथ यात्रा के हजारों लोग साक्षी बने और इस भव्य देव समागम को देखने के लिए देश, प्रदेश व विदेश के विभिन्न हिस्सों के लोग मौजूद रहे। 

रघुनाथ जी के चरणों में चढ़ाई राखी
रक्षाबंधन के मौके पर कलाई पर बंधवाई डोरी को लोगों ने शुक्रवार को रघुनाथ जी के चरणों में अॢपत किया। माना जाता है कि राखी को लंका दहन के दिन कलाई से हटाना शुभ रहता है। इसलिए लोगों ने अपनी कलाई से डोरी को हटाकर रघुनाथ जी के रथ के समक्ष चढ़ाया।