प्रियंका वाड्रा केस में RTI Activist के हाथ लगीं अहम सूचनाएं

Saturday, Mar 04, 2017 - 10:43 PM (IST)

शिमला: प्रियंका वाड्रा को हिमाचल में जमीन आबंटित करने के मामले में आर.टी.आई. कार्यकर्ता देवाशीष भट्टाचार्य को कई अहम सूचनाएं प्राप्त हुई हैं। उन्हें आर.टी.आई. एक्ट के तहत डायरैक्टर लैंड रिकार्ड से शिमला के डी.सी. रोहन ठाकुर का सी.बी.आई. को लिखा पत्र भी मिल गया है। इसमें वे सब सूचनाएं हैं, जिन्हें पाने के लिए भट्टाचार्य लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। अब वह फिर से देश की सर्वोच्च जांच एजैंसी को शिकायत करेंगे और हिमाचल सरकार के अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह करेंगे। हालांकि डी.सी. के पत्र में प्रियंका का पूरी तरह से बचाव किया गया है लेकिन इसमें उन्हें दी गई जमीन का पूरा ब्यौरा दिया गया है। 

सी.बी.आई. ने भी सार्वजनिक नहीं की थी सूचना
यह सूचना सी.बी.आई. ने भी सार्वजनिक नहीं की थी लेकिन प्रदेश के ही एक महकमे ने इसे आवेदनकर्ता को दे दिया है। अब भट्टाचार्य इसी पत्र को लड़ाई लडऩे का बड़ा हथियार बनाएंगे। उन्हें डी.सी. ने यह सूचना देने से इंकार कर दिया था। तब कहा गया था कि प्रियंका एस.पी.जी. प्रोटैक्टी है, लिहाजा सुरक्षा कारणों से सूचना नहीं दी जा सकती है। मामला सूचना आयोग तक पहुंचा, वहां से भट्टाचार्य के पक्ष में फैसला आया। प्रियंका इसके खिलाफ हाईकोर्ट पहुंची थीं, कोर्ट से उन्हें राहत मिली थी। 

इसी महीने होगी केस की सुनवाीई
अब इसी महीने इसी केस की सुनवाई होनी है, ऐसे में भट्टाचार्य उक्त सूचना को कोर्ट में भी पेश करेंगे। उन्होंने इससे पूर्व सी.बी.आई. को पत्र लिखा था। जांच एजैंसी ने प्राथमिकी दर्ज करने से इंकार कर दिया था। उन्होंने शिकायत विजीलैंस के ए.डी.जी.पी., डायरैक्टर लैंड रिकार्ड, रैवेन्यू डिपार्टमैंट को प्रेषित की थी। इसी कड़ी में आर.टी.आई. कार्यकर्ता ने लैंड रिकार्ड से शिकायत पर एक्शन रिपोर्ट मांगी थी। उसी के जवाब में शिमला के डी.सी. का सी.बी.आई. को लिखा पत्र भी प्राप्त हो गया। 

बिना बोर्ड गठित किए आबंटित नहीं की जा सकती जमीन 
अब भट्टाचार्य ने सरकार से मांग की है कि वह प्रियंका को 2007, 2011 और 2013 में दी गई जमीन के आबंटन को रद्द करें। उन्होंने आरोप लगाया कि यह जमीन प्रियंका को नहीं दी जा सकती थी। अगर दे भी दी तो फिर 2007 से दो साल के भीतर लैंड यूज क्यों चेंज नहीं हुआ? जबकि छराबड़ा के समीप मकान का कार्य अब भी पूरा नहीं हो पाया है। उन्होंने वाड्रा को बागवानी मकसद के लिए दी गई जमीन पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि बिना बोर्ड गठित किए यह जमीन आबंटित नहीं हो सकती थी।