नप कर्मचारियों पर दोहरी मार : काम से निकाला और वेतन भी नहीं दिया

punjabkesari.in Monday, Apr 06, 2020 - 06:10 PM (IST)

ज्वालामुखी (नितेश) : वैश्विक महामारी कोरोना के कोहराम के बीच जहां पर देश के प्रधानमंत्री बार बार लोगों से अपील कर रहे हैं कि सेवा मे जुटे किसी विभाग के लोगों के प्रति अपनी भावनाएं दिखाते हुए आहत न होने दें। वहीं सरकार के ही कुछ विभाग ऐसे हैं जहां पर गरीब और असहाय लोगों को जानबूझ कर प्रताड़ित किया जा रहा है। ताजा मामला ज्वालामुखी नगर परिषद से सबंधित है। जहां पर नगर परिषद ज्वालामुखी के अधीन कार्य कर रहे 17 सफाई कर्मचारियों को रोजी रोटी के लाले पड़ गए हैं। हालात ये है कि बाहरी राज्यो से आकर ज्वालामुखी में सफाई व्यवस्था से जुड़े हुए ये लोग एक एक पैसे के मोहताज हो गए हैं। 

यहां बताते चले कि ज्वालामुखी नगर परिषद ने परिषद क्षेत्र के भीतर सफाई व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने कर लिए बाकायदा घर घर से कूड़ा उठाने की व्यवस्था कर रखी थी। पूरी प्रक्रिया कर तहत नगर परिषद ने इस व्यवस्था के लिए एक ठेकेदार को इसका जिम्मा सौंप रखा था। जिसके तहत पिछले कई महीनों से घर घर से कूड़ा उठाने की एवज में स्थानीय निवासी 50 रुपए प्रति माह या इससे अधिक का भुगतान कर रहे थे। 

जानकारी के अनुसार उक्त ठेकेदार ने पहले तो इस व्यवस्था को सही बनाए रखा था। लेकिन नगर परिषद द्वारा हाथ खड़े कर दिए जाने के बाद फरवरी महीने का वेतन भी उस ठेकेदार को सफाई व्यवस्था में जुटे हुए लोगों को अपनी जेब से ही देना पड़ा। कोरोना के कोहराम के बीच 21 मार्च तक सफाई व्यवस्था में लगे हुए 17 कर्मचारियों द्वारा अपनी सेवाएं शहर के भीतर दी हैं। जबकि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू की घोषणा के बाद इन लोगों को काम से निकाल दिया गया है। विडंबना ये है कि आज 6 अप्रैल तक भी इन लोगों को मार्च महीने का वेतन नही दिया गया है। ज्वालामुखी नगर परिषद के तमाम सदस्य इस बात पर बिफरे हुए हैं कि उनको बताए बिना ही नगर परिषद के इन कर्मचारियों को किसने ओर क्यूं निकाला है उन्हें खुद ही मालूम नही है। जबकि कूड़ा उठाने की एवज में पैसे देने वाले पूरे शहर के लोग उन्हें फोन करके ये जानना चाह रहे हैं कि उनके गली मोहल्लों से कूड़ा एकत्रित नहीं हो रहा है।

इस बाबत सफाई व्यवस्था से जुड़े हुए ठेकेदार विजय ने पंजाब केसरी को बताया की वह कई बार नगर परिषद के अधिकारियों को उनके भुगतान करने का आग्रह कर चुके हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कदम नही उठाया गया है। उन्होंने कहा कि फरवरी माह का भुगतान भी नगर परिषद की ओर से नही किया गया है जबकि वह अपनी जेब से 17 कर्मचारियों को सवा लाख रुपए का भुगतान कर चुके हैं। यही नहीं फरवरी के साथ मार्च महीने का भुगतान भी नप के द्वारा नही किया गया है जबकि वह 2 या 3 कर्मचारियों को अपनी जेब से कुछ खर्चा दे चुके हैं। कर्मचारियों के भुगतान न करने को लेकर ठेकेदार विजय ने नप की कार्यप्रणाली पर निशाना साधा है और इसके लिए नप के ही अधिकारियों को जम्मेदार बताया है। 
नगर परिषद के सभी चुने हुए पार्षदों ने सफाई कर्मचारियों को काम से निकालने के सबन्ध में अपनी नाराजगी जाहिर की है। सभी पार्षदों ने एकजुटता के साथ कहा कि इस समय में किसी को काम से निकलना तथा पगार न देना अमानवीय कार्य है, जिसे सहन नही किया जाएगा। 

क्या कहती नप की प्रधान

नगर परिषद ज्वालामुखी की प्रधान भावना सूद ने पंजाब केसरी को बताया कि नगर परिषद के सदस्यों एवं नगर परिषद के बीच आपसी तालमेल की कमी के कारण कुछ दिक्कतें पैदा हो रही हैं जिन्हें जल्द ही सुलझा लिया जाएगा।  

क्या कहती नप की पूर्व प्रधान

नगर परिषद की पूर्व प्रधान एवं वर्तमान पार्षद मनीषा शर्मा ने बताया कि डोर टू डोर कूड़ा उठाने की व्यवस्था से पूरे शहर में सफाई व्यवस्था सुदृढ हो रही थी। अतः नगर के लोग इसके लिए बाकायदा पैसे भी दे रहे थे। व्यवस्था बन्द होने से सफाई व्यवस्था चरमरा सकती है। अतः इस स्तिथि से निपटने के लिए नगर परिषद के बड़े अधिकारियों को गम्भीरता से सोचना होगा। 

नगर परिषद अधिकारी व ठेकेदार के आ रहे परस्परविरोधी बयान

नगर परिषद कार्यकारी अधिकारी कंचन वाला तथा सफाई व्यवस्था के ठेकेदार विजय के परस्परविरोधी बयान आ रहे हैं। नगर अधिकारी का कहना है कि उन्होंने पैसे जारी कर दिए हैं जबकि ठेकेदार का कहना है कि फरवरी महीने की तनख्वाह भी उन्होंने कर्मचारियों को अपनी जेब से दी है। अतः मार्च महीने का वेतन अभी तक उनके खाते में नही आया है। कार्यकारी अधिकारी ने बताया की इस सारे मसले को लेकर उन्होंने परिषद की जरूरी बैठक बुलाई है जिसमें सभी मसलों का समाधान किया जाएगा।
 


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Edited By

prashant sharma

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