गुड़िया केस : झूठा षड्यंत्र रचते-रचते SIT के खिलाफ ही बन गए पुख्ता सबूत

Friday, Dec 01, 2017 - 09:50 PM (IST)

शिमला: बहुचर्चित गुड़िया केस में खाकी के दम पर बेगुनाहों को फंसाने के लिए झूठा षड्यंत्र रचते-रचते एस.आई.टी. अपने खिलाफ ही साक्ष्य बनाती रही। सी.बी.आई. को गुडिय़ा केस से जुड़े पुलिस लॉकअप हत्याकांड की जांच में ऐसे तथ्य सामने आए, जिससे एस.आई.टी. के कारनामों की पोल स्वयं ही खुलने लगी। सी.बी.आई. को जांच के दौरान एस.आई.टी. के मुखिया जहूर जैदी के ऑफिस कम्प्यूटर से एक वीडियो रिकार्डिंग भी मिली है। सूत्रों के अनुसार इसका हवाला सी.बी.आई. ने अपनी चार्जशीट में भी किया है। संबंधित रिकार्डिंग में जांच एजैंसी को गुड़िया केस में पकड़े गए लोकजन उर्फ छोटू को घटनास्थल पर लेने जाने की रिकार्डिंग भी मिली है। सूत्रों की मानें तो इस रिकार्डिंग से छोटू को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है, जबरन गवाह कबूलने के लिए उस पर कितना दबाव बनाया होगा। वीडियो में छोटू के ठीक ढंग से नहीं चल पाने के दृश्य होने की बात कही जा रही है। 

जहूर जैदी के मोबाइल से भी मिली रिकार्डिंग
इसके साथ ही जहूर जैदी के मोबाइल से भी जांच एजैंसी को एक रिकार्डिंग मिली है। सी.बी.आई. जांच में खुलासा हुआ है कि पुलिस लॉकअप में कथित आरोपी सूरज की मौत के एस.आई.टी. के मुखिया जहूर जैदी डी.जी.पी. के निर्देशों पर कोटखाई पुलिस स्टेशन पहुंचे और लॉकअप हत्याकांड की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट तैयार की। सी.बी.आई. सूत्रों के अनुसार इसके तहत जैदी ने संतरी दिनेश शर्मा से पूछताछ कर उसके बयान लिए। इस दौरान एस.आई.टी. मुखिया ने दिनेश से हुई पूछताछ की पूरी रिकार्डिंग अपने मोबाइल में की लेकिन जो बयान दिनेश ने दिए उनकी सच्चाई पुलिस महानिदेशक को नहीं बताई और सोची-समझी चाल के तहत उन्होंने राजू के खिलाफ सूरज की हत्या का केस दर्ज होने दिया।

भजन नेगी की मोबाइल रिकार्डिंग भी बन गई सबूत
लॉकअप हत्याकांड मामले में जिला शिमला के पूर्व ए.एस.पी. भजन नेगी द्वारा की गई एक मोबाइल रिकार्डिंग भी केंद्रीय जांच एजैंसी के लिए साक्ष्य बनी है। सी.बी.आई. सूत्रों के अनुसार बीते 16 जुलाई को जब भजन नेगी डी.एस.पी. ने कोटखाई थाने में पकड़े गए कथित 4 आरोपियों से पूछताछ की। इस दौरान चारों ने गुनाह कबूल नहीं किया और इसकी वॉयस रिकार्डिंग अधिकारी ने अपने मोबाइल में कर ली। इसके बाद जब सी.बी.आई. ने मामले की जांच शुरू की तो भजन नेगी के मोबाइल को भी कब्जे में लेकर जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेजा गया, जिसमें उक्त वॉयस रिकार्डिंग मिली।  

अब तक पकड़े गए आरोपी
लॉकअप हत्याकांड मामले में सी.बी.आई. ने सबसे पहले एस.आई.टी. के आठों सदस्यों को गिरफ्तार किया था। इनमें एस.आई.टी. के मुखिया आई.जी. जैदी, पूर्व डी.एस.पी. मनोज जोशी, एस.एच.आे. राजेंद्र सिंह, ए.एस.आई. दीप चंद शर्मा, कांस्टेबल रंजीत सिंह, हैड कांस्टेबल सूरत सिंह, मोहन लाल और रफीक अली को गिरफ्तार किया था। इसके बाद मामले में 9वीं गिरफ्तारी जिला शिमला के पूर्व एस.पी. डी.डब्ल्यू. नेगी के रूप में हुई थी। 

मोबाइल कॉल्स से भी हाथ लगे साक्ष्य
जांच टीम को एस.आई.टी. सदस्यों के मोबाइल फोन से भी कई साक्ष्य हाथ लगे हैं। सूरज की हत्या के बाद कोटखाई थाने में मौजूद अधिकारियों ने किस-किस से बात की और उसके बाद संबंधित अधिकारियों ने किन-किन को फोन किए, इसका पूरा रिकार्ड सी.बी.आई. खंगाल चुकी है।

अपनी बात मनाने पर अड़ी रही एस.आई.टी.
गुड़िया मामले में रचे गए षड्यंत्र को ही सही ठहराने के चक्कर में एस.आई.टी. लॉकअप हत्याकांड से बेनकाब हो गई। गुडिय़ा केस में जिन आरोपियों को पकड़ कर सी.बी.आई. ने अपनी पीठ थपथपाई थी, वे ही अब एस.आई.टी. के खिलाफ गवाह बन गए हैं। सूत्रों की मानें तो एस.आई.टी. से जुड़े कुछ अधिकारियों ने पकड़े गए कथित आरोपियों से गुनाह कबूल करवाने के लिए दबाव बनाने की बात कही थी। इसी के चलते हवालात में सूरज की पुलिस प्रताडऩा से मौत हो गई और सी.बी.आई. की जांच में एस.आई.टी. का राज खुल गया।