छुट्टी पर डॉक्टर, इलाज के लिए छटपटा रहे मरीज

Monday, Jan 23, 2017 - 03:56 PM (IST)

शिमला (विकास शर्मा) : प्रदेश में डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने से स्वास्थ्य सवाओं चरमरा गई हैं। राजधानी शिमला से लेकर प्रदेश के करीब-करीब सभी अस्पतालों में इलाज के लिए मरीज छटपटाते दिखे। अस्पतालों में सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं चल रही हैं, जबकि ओपीडी से डॉक्टर गायब हैं। डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने का फैसला सबको पता था, ऐसे में अस्पताल में मरीजों की भीड़ कम नजर आई, मगर जो भी मरीज अस्पताल पहुंचे उन्हें इलाज के लिए मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

आईजीएमसी में 300 रेजिडेंट डॉक्टरों का अवकाश
राजधानी शिमला में 300 रेजिडेंट डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर हैं। प्रदेश के इस सबसे बड़े अस्पताल में इलाज के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। ठंड के बावजूद सुबह से ही  अस्पताल में काफी भीड़ थी मगर मरीजों और उनके साथ आए तीमारदारों को निराशा ही हाथ लगी। आईजीएमसी में सिर्फ इमरजेंसी सेवाएं ही चल रही हैं।

बाकी अस्पताल में भी बुरा हाल
शिमला के अलावा टांडा मेडिकल कॉलेज, हमीरपुर, चंबा, मंडी, सोलन समेत सभी जिलों में डॉक्टरों के सामूहिक अवकाश का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। जो महंगे अस्पतालों में इलाज करा सकते हैं वह प्राइवेट क्लीनिक और अस्पतालों में जा रहे हैं लेकिन गरीब तबके को परेशानी हो रही है। स्वास्थ्य मंत्री की अपील की अनसुनीडॉक्टरों ने स्वास्थ्य मंत्री ठाकुर कौल सिंह की अपील भी अनसुनी कर दी है। कौल सिंह ने डॉक्टरों से छुट्टी पर न जाने की अपील की थी। उन्होंने कहा था कि सरकार डॉक्टरों की मांगों पर संजीदा है। मेडी पर्सन बिल को बजट सत्र में लाया जा रहा है और इस बिल को बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि मरीजों की सुविधा को देखते हुए डॉक्टरों को छोटी-छोटी बातों पर हड़ताल से बचना चाहिए।

डॉक्टरों की मांग क्या 
प्रदेश मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन डॉक्टरों पर बढ़ रहे हमलों से नाराज है। उनकी मांग है कि डॉक्टरों के साथ दुर्व्यहार को गैर जमानती अपराध बनाया जाए। डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि सोमवार के सामूहिक अवकाश के बाद वह 24 जनवरी से 2 फरवरी तक 10 दिनों के लिए काले बिल्ले लगाकर विरोध करेंगे। 3 से 12 फरवरी तक सुबह 9 से 11 बजे तक रोजाना पेन डाउन स्ट्राइक करेंगे। इसके बाद 13 फरवरी को डाक्टर्स फिर से सामूहिक अवकाश पर है।