हादसों के बावजूद कानून का खौफ नहीं, छत्त पर हो रहा मौत का सफर

Friday, Dec 01, 2017 - 03:28 PM (IST)

घुमारवीं : घुमारवीं उपमंडल में बेतहाशा स्पीड से दौड़ने वाली गाड़ियां आजकल लोगों के लिए अपने साथ डैथ वारंट लेकर घूम रही हैं। दोपहिया वाहनों से लेकर भारी वाहनों तक की अंधाधुंध रफ्तार अब तक इनमें सवार लोगों की जी जान पर भारी पड़ती आ रही है लेकिन चंद रोज की चर्चाओं के बाद लोग तमाम मानव जनित हादसों को भुलाकर फिर मौत की लॉरी पर सवार होने लगते हैं जोकि आगे जाकर हादसों का शिकार बनते हैं।

बसों की होड़ बनती है दुर्घटना का कारण
हर रोज हमीरपुर, बिलासपुर व बिलासपुर, घमारवीं या शिमला हाईवे या फिर ग्रामीण इलाकों की सड़कों से तेज रफ्तारी से निकलने वालीं प्राइवेट बसें आपको निश्चित तौर पर जान जोखिम का एहसास कराती ही होंगी। बसों की छतों पर सफर कराने में बस मालिकों को कानून का भय नहीं लगता है लेकिन इससे निपटने में भी अब तक पुलिस के स्तर पर कुछ ठोस नहीं हो पा रहा है।

बसों की स्पीड बनी घातक
वहीं, नैशनल हाईवे से होकर गुजरने वाली बसों की स्पीड भी यहां लगातार घातक बनी हुई है और निजी बसों में एक-दूसरे से आगे निकलने की जद्दोजहद आम लोगों की जान के लिए खतरा बनी हुई है। इसी के चलते वीरवार को एक वृद्ध सेवानिवृत्त शिक्षक काल का ग्रास बन गया, वहीं घुमारवीं में निजी स्कूलों में बच्चों को ले जाने और लाने के लिए प्रयोग की जा रहीं स्कूल के स्वामित्व वालीं और निजी नंबर की गाडिय़ां अक्सर बेलगाम मिलती हैं।

यातायात व्यवस्था 2 पुलिस कर्मियों  के हवाले
इस घनी आबादी वाले कस्बे में यातायात नियंत्रण के लिए 2 मुलाजिमों के कंधे भी आखिर कब तक और कितना बोझ सहें? स्टेयरिंग पर बैठकर हादसों से बचाव करने और सड़कों पर चलते हुए हादसों से बचने के लिए एक जागरूकता अभियान की जरूरत भी अब तक पुलिस विभाग या किसी स्वयंसेवी संगठन के मंच से पूरी होती नहीं दिखी है। महज चालान करवाने या कर देने तक सीमित रहने वाले पुलिस महकमे के हाथ भी कई बार आम लोगों के साथ व्यावसायिक वाहन चलाने वाले ड्राइवरों की हरकतों के आगे खड़े हो जाते हैं।