चाइनीज लाइट की चमक में खो रहे मिट्टी के दीये, कुम्हारों की जिंदगी में छाया अंधेरा(PICS)

Saturday, Oct 26, 2019 - 12:55 PM (IST)

कुल्लू(मनमिंदर): कुल्लू के ढालपुर में मिट्टी के दीपक बेचने वाले लोग दीवाली पर चाइनीज सामान के मार्केट में आने से काफी निराश हैं। उनका मानना है कि इस वर्ष भी मिट्टी से बने दीपकों पर चाइनीज बाजार की मार पड़ने वाली है। हालांकि लोग पर्यावरण को लेकर जागरूक हुए है और चाइनीज लाइटों का भी लोग बहिष्कार कर रहे है। लेकिन कम कीमत में मिल रहे चाइनीज सामान के आगे मिट्टी का दीया अपनी चमक खो रहा है। इस समय जहां दीपावली पर सभी पटाखों, मोमबत्तियों व अन्य उपहारों के बिजनेस में लोग अपना कारोबार कर कमाई करना चाहते हैं, वहीं दीपावली पर मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य करने वाले लोग भी दिन रात मेहनत कर दीपक बना रहे हैं।

मगर मिट्टी के दीपक बनाने वाले लोग चाइनीज मार्केट से काफी आहत दिखाई दे रहे हैं। इस संबंध में मिट्टी के दीपक बनाने के कार्य से पुश्तैनी तौर से जुड़े कारोबारी ने बताया कि वह मिट्टी के दीपक बनाने के कारोबार से पिछले लंबे समय से जुड़े हुए हैं। उनका दीपक बनाने का कार्य जहां पिछले वर्षो में काफी बढि़या था, लेकिन पिछले तीन चार वर्षो से मार्केट में चाइनीज माल आने के कारण उनके कार्य को काफी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि चाइनीज लड़ी लगभग 20 रुपए से शुरू होकर 40 रुपए तक की बढि़या आ जाती है, ऐसे में मिट्टी के दीये जिन पर काफी मेहनत आती है, वह एक एक दीया एक-एक लड़ी की कीमत के बराबर है। इससे दीये को लोग नहीं खरीद रहे हैं।

उन्होंने कहा कि दीवाली के दिन मिट्टी के दीये जलाए जाने को शुभ माना जाता है, मगर अब लोग अपने घरों में मात्र आरती के लिए ही दीपक जलाते हैं और बाकी सारा घर चाइनीज लड़ियों से सजा लेते हैं। उन्होंने कहा कि वह पूरे वर्ष में इस दीपक के कार्य पर निर्भर रहते हैं। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह इस समय आरती के दीये, श्री गणेश व माता लक्ष्मी की मूर्ति वाले दीये, चिराग, चहुंमुखी दीये बना रहे हैं, जिन्हें मार्केट में दीवाली के लिए उतारा गया है। उन्होंने भारत सरकार से मांग की है कि चाइनीज बाजार पर पाबंदी लगाई जाए और स्वदेशी माल की बिक्री पर जोर दिलाया जाए।

kirti