विस चुनावों में हिमाचल को दूसरी राजधानी देने का मुद्दा रहा गौण

Sunday, Dec 17, 2017 - 11:45 AM (IST)

पालमपुर: चुनावी बेला भी बीत गई पर इस चुनावी वर्ष की शुरूआत में ही वीरभद्र सिंह द्वारा धर्मशाला को प्रदेश की दूसरी शीतकालीन राजधानी बनाए जाने का मुद्दा कहीं नजर नहीं आया। चुनावी वर्ष 2017 के शुरूआती दौर में मुख्यमंत्री ने धर्मशाला में 19 जनवरी को शीतकालीन प्रवास के दौरान धर्मशाला को दूसरी राजधानी घोषित कर नया मुद्दा उठाकर भाजपा को बैकफुट पर धकेल कर उसके समक्ष एक बड़ी राजनीतिक चुनौती खड़ी कर दी थी। आखिर प्रदेश सरकार ने 7 मार्च को इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी। उस वक्त निचले क्षेत्र से जुड़े कांग्रेस नेता जी.एस. बाली व सुधीर शर्मा जैस वरिष्ठ मंत्रियों ने इस मुद्दे को हाथोंहाथ लपक कर यह बताना शुरू किया था कि धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाए जाना प्रदेश के निचले क्षेत्रों के लिए बड़ा तोहफा साबित होने वाला है। बेशक इस फैसले के बाद इस मुद्दे को लेकर दोनों दलों में प्रशासनिक व राजनीतिक लाभ लेने को लेकर बहस छिड़ गई परंतु ज्यों-ज्यों चुनाव नजदीक आते गए यह मुद्दा गौण हो गया। 

भाजपा ने भी इस मुद्दे से बनाए रखी समान दूरी 
दिलचस्प बात यह रही कि कांग्रेस सहित भाजपा ने भी इस मुद्दे से समान दूरी बनाए रखी। भाजपा ने इस मुद्दे को ज्यादा इसलिए नहीं छेड़ा की कहीं इसका असर ऊपरी क्षेत्र में न पड़े। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने शिमला नगर निगम चुनावों में मिली हार को इस मुद्दे को जोड़कर देखा व चुप रही। कांग्रेस द्वारा उछाला गया ये मुद्दा शिमला के नगर निगम चुनावों में कांग्रेस के लिए भी नुक्सान देह साबित हुआ जब माकपा व भाजपा ने अंदर खाते इस मुद्दे को भुनाने में कोई कसर बाकी नही छोड़ी, ऐसे में शिमला सचिवालय में कार्यरत कर्मचारी सरकार के इस फैसले से नाराज थे। 

भाजपा ने दूसरी राजधानी को बताया था सियासी स्टंट
भाजपा ने भी उस समय सरकार पर 40 हजार करोड़ रुपए के कर्ज का हवाला देते हुए दूसरी राजधानी को मात्र सियासी स्टंट करार दिया था। विपक्ष का तर्क था कि जहां एक तरफ  सरकार प्रदेश की माली हालत का हवाला देकर प्रशासनिक जिलों का गठन करने से बच रही है वहीं दूसरी तरफ  छोटे से प्रदेश में दूसरी राजधानी का राग अलापने के पीछे जनता को सुविधा से ज्यादा सियासत अधिक नजर आ रही है। पूरे विधानसभा चुनाव पर नजर दौड़ाई जाए तो मात्र धर्मशाला में ही स्थानीय भाजपा ने अपने विधानसभा क्षेत्र में पोस्टर चपकाकर कांग्रेस सरकार पर धर्मशाला को दूसरी राजधानी न बनाए जाने पर इसे चुनावी स्टंट बताया व अपना वायदा पूरा न करने पर रोष प्रकट किया।