RTI का खुलासा, सरकार को ही लगाया लाखों का चूना!

Friday, Mar 10, 2017 - 12:58 AM (IST)

शिमला: सरकार आर्थिक किफायत बरतने के लाख दावे करे लेकिन ये धरातल पर खोखले ही साबित हो रहे हैं। इसकी ताजा मिसाल ऊना के चिंतपूर्णी बस अड्डे को लीज आऊट करने का मामला है। इस बस अड्डे की लीज को लेकर आर.टी.आई. की सूचनाओं ने कई चौंकाने वाले तथ्यों का खुलासा किया है। आरोप है कि सरकार और बस अड्डा प्राधिकरण से जुड़े आला अफसर एक कंपनी पर पूरी तरह से मेहरबान रहे। इतने मेहरबान कि उन्होंने दान दी गई जमीन को ही लीज पर आबंटित कर दिया। इससे जुड़े तमाम कायदे-कानूनों को ठेंगा दिखाकर सरकार को ही सालाना लाखों का चूना लगाया गया। 

1 करोड़ की आय वाला अड्डा 45 लाख रुपए में लीज आऊट
जिस अड्डे से सरकार को प्राधिकरण के माध्यम से सालाना 1 करोड़ 10 लाख 53 हजार रुपए की आय हो रही थी, उसे मात्र 45 लाख रुपए में लीज आऊट कर दिया, वह भी 10-20 नहीं पूरे 33 वर्षों के लिए। इस कंपनी पर सरकार कितनी मेहरबान रही, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बोली में केवल एक ही बोलीदाता ने भाग लिया। कायदे से ऐसा 3 बार होता, तभी उसके केस को सरकार के पास इजाजत के लिए भेजा जाता पर इस केस में ऐसा नहीं हुआ। इस आबंटन से 33 साल में सरकार को करोड़ों का नुक्सान होगा। हां, लीज पाने वाले की चांदी होनी तय मानी जा रही है।

नियमानुसार नहीं दी जा सकती लीज 
 प्राधिकरण ने लीज मामले को लेकर कमेटी गठित की थी। इसके एक सदस्य ने लीज के मामले में नियमों का हवाला दिया है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर लिखा है कि नियमानुसार यह लीज नहीं दी जा सकती है जबकि एक अन्य ने मिनट्स पर साइन ही नहीं किए। उन्होंने भी एक तरह से असहमति ही जताई लेकिन कमेटी के मुखिया ने इसे ‘वीटो’ कर दिया। आर.टी.आई. में इसका सिलसिलेवार खुलासा हुआ है। फाइल नोटिंग में किसने क्या लिखा, कब कहां क्या हुआ, सब कुछ अंकित है। 

पूर्व सरकार ने 52 लाख में भी नहीं दी थी लीज
पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान भी अड्डे को लीज पर देने के कई प्रस्ताव आए लेकिन तब सरकार ने सरकारी खजाने का ख्याल रखा। 52 लाख रुपए के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया था। वर्ष 2012 के बाद 5 वर्षों में लीज दरों में कहां तो वृद्धि होनी चाहिए थी और कहां तब के मुकाबले भी इनमें कमी आई है।

बस अड्डे के बढ़ाए शुल्क 
बस अड्डे में आने वाली बसों से प्रति बस पहले 100 रुपए व छोटे वाहनों से प्रति वाहन 30 रुपए वसूले जाते थे। जैसे ही यह कंपनी को आबंटित हुआ, इसके शुल्क में बढ़ौतरी हो गई। अब बसों से 250 रुपए व छोटे वाहनों से 100 रुपए लिए जा रहे हैं। यानी कंपनी को कमाई काफी ज्यादा होगी जबकि सरकार के खजाने में पहले से कम पैसे जमा होंगे। 

किसी पर कोई मेहरबानी नहीं की : बाली
परिवहन मंत्री जी.एस. बाली कहते हैं कि किसी पर कोई मेहरबानी नहीं की गई है। 6 बार सिंगल बिड आई थी। नियमों के तहत ही लीज दी गई है। बी.ओ.डी. के बाद बाकायदा केस को कैबिनेट में ले गए। वहां पर गहन चर्चा हुई उसके बाद ही लीज दी गई है। आर.टी.आई. की सूचना जिस व्यक्ति ने ली है, उसके खुद के कारनामे सही नहीं हैं।