दियोटसिद्ध ट्रस्ट बनाम महंत संपत्ति विवाद थमा: SC के फैसले के बाद संभाला संपत्तियों का संचालन

Thursday, Jan 31, 2019 - 11:34 AM (IST)

बड़सर: बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध में मंदिर ट्रस्ट और मन्दिर के महंत 1008 श्री-श्री राजेंद्र गिरि महाराज के बीच संपत्ति विवाद का निपटारा होने के उपरांत महंत द्वारा उनके हिस्से में आई संपत्तियों का संचालन अपने हाथ में लेने का क्रम शुरू हो गया है। संपत्ति विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर ट्रस्ट और महंत के बीच आपसी सहमति से संपत्तियों का बंटवारा हुआ है तथा इस बंटवारे को प्रदेश सरकार द्वारा मंजूरी दिए जाने के उपरांत जिलाधीश हमीरपुर द्वारा अमल में लाया गया है। इस बंटवारे के तहत दियोटसिद्ध के ऊपरी बाजार में स्थित दुकानों के अलावा ऊपरी बाजार में स्थित एक सराय भी मंदिर के महंत के हिस्से में आई है। 

इस समझौते के तहत महंत राजेंद्र गिरि ने मंदिर के समीप स्थित बकरा स्थल व मंदिर को जाने वाले रास्ते का भाग मंदिर न्यास को छोड़ा है, जिससे बाबा बालक नाथ की मेन गुफा व आसपास का मंदिर परिसर का क्षेत्र अब मंदिर ट्रस्ट के नाम हो गया है, जबकि समझौते से पहले इसका काफी हिस्सा राजस्व रिकॉर्ड में महंत के नाम दर्ज था। श्रद्धालु हित में महंत ने मंदिर परिसर के इस हिस्से को ट्रस्ट को सौंप दिया है, वहीं ट्रस्ट ने भी महंत निवास के आसपास वाले हिस्से को महंत को सौंप दिया है, जिससे महंत और ट्रस्ट के बीच का सम्पति विवाद सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले के उपरांत खत्म हो गया है। मंदिर प्रशासन और महंत राजेंद्र गिरि के बीच हुए आपसी संपत्ति बंटवारे के उपरांत उक्त सराय महंत के हिस्से में आने के बाद महंत राजेंद्र गिरि ने इस सराय का नियंत्रण अब अपने हाथों में ले लिया है।

मिली जानकारी के मुताबिक महंत निवास की प्रबंधक कमेटी ने गत दिवस सराय का संचालन करने वाले प्रबंधक और अन्य कर्मचारियों से सराय की चाबियां और उसका नियंत्रण लेकर अपने स्तर पर इसका संचालन करना शुरू कर दिया है। हालांकि महंत निवास की प्रबंधक कमेटी द्वारा इस सराय का संचालन अपने हाथ में लेने के उपरांत पूर्व में व्यवस्था देख रही पंजाब की संस्था द्वारा इस पर आपत्ति जताते हुए पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज भी करवाई गई है लेकिन महंत के पक्ष में प्रबंधक कमेटी द्वारा समझौते के कागजात तथा इसकी मलकीयती हक के राजस्व कागजात पुलिस के समक्ष पेश किए गए हैं। इसके अलावा ऊपरी बाजार में स्थित दुकानों का मालिकाना हक भी अब राजस्व रिकॉर्ड में अब पूरी तरह महंत के पास आ गया है।

 

Ekta