धूमल बोले, मेरे नाम की जालंधर में कोई संपत्ति नहीं

Thursday, Apr 06, 2017 - 10:32 PM (IST)

भोरंज: वीरवार को भोरंज उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी डा. अनिल धीमान के पक्ष में नुक्कड़ सभाएं करने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने पत्रकार वार्ता में कहा कि वीरभद्र सिंह विजीलैंस से मेरी संपत्ति की चाहे कितनी बार जांच करवा लें इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। उन्होंने पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कहा कि मेरे नाम से जालंधर में कोई भी संपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले भी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह विस चुनावों के दौरान हमीरपुर रैली में मेरी संपत्ति के बारे में गलत बयानबाजी कर गए थे। उसके बाद उन्हें शिमला कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी थी। अब दोबारा वह ऐसी गलती नहीं करेंगे। 

मुख्यमंत्री को दी यह चुनौती 
उन्होंने मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उनमें दम है तो विधानसभा को भंग करवाकर मई-जून में विस चुनाव भी करवाकर देख लें। उन्होंने मुख्यमंत्री के बयान जिसमें उन्होंने राज्यपाल को भाजपा का एजैंट बोला और भोरंज उपचुनाव व आम चुनाव साथ करवाने की बात कही थी, उस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर प्रदेश आर्थिक संकट से जूझ रहा हो तो राज्यपाल के पास विशेष अधिकार होता है, जिसमें विधानसभा को भंग कर दोबारा चुनाव करवाए जा सकते हैं लेकिन अब 3-4 महीने बाद खुद ही विस चुनाव आ जाएंगे, जिनमें कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो जाएगा तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कांग्रेस मुक्त अभियान में हिमाचल प्रदेश भी शामिल हो जाएगा। 

कांग्रेस सरकार ने किया एल.ई.डी. बल्ब घोटाला
उन्होंने आरोप लगाया कि हिमाचल की कांग्रेस सरकार ने एल.ई.डी. बल्ब वितरण में लाखों रुपए का घोटाला किया है जिसकी जांच भी शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में 50 रुपए में एल.ई.डी. बल्ब प्रदेश की जनता को भेजा लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने इस बल्ब को 100 रुपए में बेचा। यही नहीं प्रदेश में पहली बार हुआ कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में पुलिस की भर्ती भी ठेके पर की गई।

राजनीतिक अडजैस्टमैंट का अध्ययन करके ही दूंगा कोई बयान
उन्होंने राष्ट्रीय उच्च मार्गों व राज्य हाईवे को जिला स्तर की सड़कों में तबदील करने पर कहा कि इसमें अगर सरकार राजनीतिक अडजैस्टमैंट कर रही है तो इसका अध्ययन करके ही कोई बयान दूंगा। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सरकार ने 45 हजार करोड़ रुपए का कर्जा चालू वित्त वर्ष में लिया है, जबकि केंद्र सरकार से प्रदेश को 75 हजार करोड़ रुपए का अनुदान मिल चुका है, ऐसे में प्रदेश की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है तथा हर हिमाचली कर्जे में डूबा हुआ है।