एम.सी. धर्मशाला का डंपिंग यार्ड दे रहा बीमारियों को न्यौता

Monday, Jun 25, 2018 - 04:57 PM (IST)

धर्मशाला : चारों ओर उड़ते सैंकड़ों चील और कौए। इधर-उधर दौड़ते अवारा कुत्ते व दम घोटने वाली दुर्गंध। स्वच्छ भारत अभियान व डिजीटल इंडिया के गुलाबी नारों के बीच यह खौफनाक नजारा है  एच.आर.टी.सी. वर्कशॉप के समीप नगर निगम धर्मशाला की डंपिंग यार्ड यानी कूड़ा निस्तारण स्थल सुधेड़ का। 1.57 हैक्टेयर जमीन में पसरे इस कूड़े के पहाड़ की बदबू यहां से गुजरने वाले राहगीर को परेशान करती है। जैविक कचरे का वैज्ञानिक निपटारा न होने की वजह से लगातार इसके आसपास काम करने वाले लोग बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की पहली स्मार्ट सिटी धर्मशाला के घरों से रोजाना औसतन 25 मीट्रिक टन कचरा निकलता है। लगभग 23 वर्ष पूर्व सुधेड़ में बनाई गई कचरा यार्ड को लेकर लोगों की शिकायत है कि कचरा निस्तारण करने वाली फर्म छंटाई किए बिना ही यहां कचरा डालती है जिससे आस-पास के एरिया में भूजल व आवो-हवा बुरी तरह से प्रदूषित हो चुकी है।


बेहद खतरनाक वातावरण में काम करने को मजबूर सफाई कर्मी
पंजाब केसरी की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि कूड़े की डंपिंग साइट में काम करने वाले कर्मचारी बेहद खतरनाक माहौल में काम करते हंै। शहर में लगभग 9 करोड़ की लागत से स्थापित किए जा रहे अंडर ग्राऊंड डस्टबिन लगाए जाने के बावजूद कू ड़े की छंटाई में समस्या रहती है। कूड़े के ढेर में गंदी वस्तुओं के साथ हानिकारक इलैक्टॉनिक कचरा और कांच, विभिन्न किस्म की सुई व बायोमैडीकल समान होते हैं जिससे गंभीर संक्रमण होने का खतरा रहता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इससे 94 फीसद लोग सांस की बीमारियों की चपेट में आते हैं। इतना ही नहीं फेफड़ों की समस्या व अन्य बीमारियां इन लोगों के सिर पर मंडराती हंै।


नई साइट की हो रही तालाश
नगर निगम धर्मशाला के अधिकारियों का कहना है कि सुधेड़ की ढलाईनुमा डंपिंग यार्ड में समय-2 पर जे.सी.बी. लगाकर कूड़े को हटाया जाता है। इसके साथ ही इन दिनों धर्मशाला में पर्यटकों की आवाजाही से भी कचरा अधिक पैदा हो रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए नगर निगम नई डंपिंग साइट की संभावना को तलाश रहा है। इसी कड़ी में बीते दिनों डी.सी. कांगड़ा के द्वारा कांगड़ा में 60 कनाल की नई साइट का दौरा किया गया था। नगर निगम धर्मशाला के कमीश्नर संदीप कदम का कहना है कि इस दिशा में कार्य किया जा रहा है।

Kuldeep