चूड़धार में लगा श्रद्धालुओं का जमघट

Friday, Oct 30, 2020 - 06:48 PM (IST)

संगड़ाह : हिमाचल के प्रमुख आस्था स्थलों में शामिल चुड़धार में हर साल लाखों श्रदालु अपने अराध्य देव शिरगुल महाराज के दर्शन करने पहुंचते है। शुक्रवार को आगामी दो दिन की छुट्टी अथवा वीकेंड तथा पूर्णिमा के अवसर पर चुडधार में श्रदालुओं का रिकॉर्ड टूट गया। शुक्रवार को नौहराधार व सराहां के रास्ते से कई घंटो का पैदल सफर कर हजारों की संख्या में श्रदालु चुडधार पहुंचे। बाहरी राज्यों अथवा हिमाचल के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे कईं श्रद्धालुओं को नौहराधार में मौजूद होटल व गेस्ट हाउस आदि में कमरें नही मिलने पर मजबूरन अपनी गाड़ियों में रात गुजारनी पड़ी। चूड़धार में खासकर जून माह से नवंबर माह तक शिव भक्तो का यहां पर खूब ताँता लगा रहता है। बताते चले कि 15 नवंबर के बाद प्रशासन द्वारा यहां मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएगें, क्योंकि यहां मौसम नवम्बर के पहले सप्ताह में ही बर्फबारी तथा कड़ाके की ठंड हो जाती है। इसके बाद परम्परा के अनुसार बैशाखी पर कपाट खोल दिए जाते है। अमावस्या व अन्य शुभ तिथियों में यहां पर श्रदालुओं का आंकड़ा पांच हजार के पार भी चला जाता है। 

कोरोना काल में यहां मास्क व सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने के लिए प्रशासन द्वारा खास व्यवस्था नहीं की गई है। कोरोना महामारी के चलते यहां श्रदालुओं के रात्रि ठहराव की व्यवस्था नहीं की गई है तथा यात्री व ट्रेकर खुले आसमान तले टेंटों में रातें गुजार रहे है। मन्दिर खुलने व बंद होने का समय निर्धारित किया गया है। चुडधार में रात को अक्सर तापमान माइनस में रहता है तथा सर्द हवाएं शरीर पर सुई की तरह चुभती है। इसके बावजूद हजारों श्रद्धालु पूरी रात खुले आसमान के नीचे कडकडाती ठंड में गुजारना मंजूर है। 

नौहराधार व सराहं के रास्तों में अस्थाई ढाबे खुल चुके है तथा स्थानीय ढाबा संचालक भी यात्रियों को अपनी दुकानों में जगह देकर उनकी मुश्किलों को कम करने का प्रयास करते है। सराहां से चूड़धार की मंदिर तक का पैदल ट्रेक की दुरी लगभग 7 किमी है व नौहराधार से चुडधार पैदल ट्रेक की दुरी करीब 15 किमी है। चुड़ेश्वर सेवा समिति के मुख्य प्रबन्धक बाबूराम शर्मा ने बताया कि, समिति ने कोरोना के कारण यहां पर रात्रि विश्राम व भंडारे की व्यवस्था नहीं की है। उन्होने कहा कि, 15 नवंबर के बाद पूर्णतया कपाट बंद हो जाएगें। उन्होंने श्रदालुओं से अपील की है कि कोई भी श्रद्धालु रात को सफर न करें क्योंकि यहां रात को सफर करना जान जोखिम में डालना है।
 

prashant sharma