देवीकोठी मंदिर के वजूद पर मंडराया खतरा, कारण जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर

Monday, Nov 27, 2017 - 03:39 PM (IST)

चंबा (विनोद): चंबा जिला अपनी लोक संस्कृति के साथ-साथ अपने प्राचीन मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है। ऐसे में यहां के प्राचीन मंदिरों को सहेजने का पूरा दायित्व सरकार पर आ जाता है। इन मंदिरों की ऐतिहासिक व धार्मिक दृष्टि से महत्वता को देखते हुए सरकार ने जिला के कई मंदिरों को पुरातत्व विभाग के अधीन कर दिया है, बावजूद इसके अभी भी चंबा में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जोकि 250 वर्ष पूरा करने के बावजूद अभी तक पूरी तरह से राज्य सरकार के रहमोकरम पर आश्रित हैं। इसी सूची में जिला के चुराह उपमंडल का देवकोठी मंदिर शामिल है। जिसके वजूद पर खतरा मंडराया हुआ है। समय रहते इस मंदिर की ओर सरकार ने विशेष ध्यान नहीं दिया तो यह ऐतिहासिक धरोहर पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी और उस समय सरकार के पास हाथ मलने के अलावा और कोई दूसरा चारा नहीं बचेगा। 


विश्व स्तर पर देवीकोठी मंदिर पर छप चुकी हैं किताबें
जानकारी के अनुसार देवीकोठी मंदिर पर अब तक कई विदेशी व भारतीय लेखक किताबें लिख चुके हैं। इसमें स्विट्जरलैंड से 2003 में प्रकाशित हुई किताब को वहां के संग्रहालय निदेशक डा. फिसर ने देवीकोठी मंदिर पर लिखी है। इस किताब को पूरा करने में जिला चम्बा के विश्व चंद्र ओहरी सेवानिवृत्त निदेशक शिमला म्यूजियम व पद्मश्री विजय शर्मा ने सहयोग किया है। इस किताब में देवीकोठी मंदिर के निर्माण से लेकर उसकी दीवारों पर मौजूद चित्रकला के साथ काष्ठ कला का विस्तार से व्याख्यान किया गया है। 


मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था नहीं पुख्ता
अढ़ाई सौ वर्षों से अधिक पुराने इस मंदिर की सुरक्षा के लिए अभी तक सरकार ने कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं की है। एक तो इस मंदिर को आग जैसी घटनाओं से बचाने के लिए अग्रिशमन की व्यवस्था नहीं है। यही नहीं इस मंदिर में किसी भी दिशा से प्रवेश किया जा सकता है क्योंकि यहां पर किसी भी प्रकार की चारदीवारी की व्यवस्था नहीं की गई है। पूरी तरह से लकड़ी से सैंकड़ों वर्ष पुराना यह मंदिर आग की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। 


दीवारों पर पड़ने लगी दरारें
देवीकोठी मंदिर जिस स्थान पर सैकड़ों वर्षों से विराजमान है वह स्थान अब धीरे-धीरे धंसने लगा है। इसके चलते मंदिर की दीवारों पर अब दरारें पड़ने शुरू हो चुकी हैं। पिछले कुछ वर्षों में ये दरार अपना आकार भी बड़ा करने में कामयाब होती दिखाई दी हैं। ऐसे में मंदिर के वजूद पर एक ओर खतरा मंडराने लगा है। जानकारों की मानें तो अगर मंदिर के इस वजूद को बरकरार रखना है तो इस दिशा में प्रभावी कदमों को उठाया जाना बेहद जरूरी है।  


1754 को हुआ था देवीकोठी मंदिर का निर्माण
इतिहासकारों के अनुसार चुराह क्षेत्र की देवीकोठी पंचायत में मौजूद चामुंडा माता मंदिर देवीकोठी का निर्माण 1754 मेंहुआ था। इस मंदिर का गुरुदेव व झंडा नामक दो मिस्त्रियों ने पहाड़ी शैली में निर्माण किया। पूरी तरह से देवदार की लकड़ी से निर्मित इस मंदिर में काष्ठ कला का कार्य यहां आने वाले सभी को मुंह में अंगुली दबाने के लिए मंजूर कर देता है। 267 वर्ष के बाद भी यह मंदिर आज अपनी निर्माण शैली के साथ अपने भित्ति चित्रों के लिए विश्व भर में अपनी पहचान बनाए हुए है।  


लोगों ने पहुंचाया है नुक्सान
मंदिर की दीवारों में बने भित्ति चित्रों को इस मंदिर को देखने के लिए आने वाले लोगों को बुरी तरह से नुक्सान पहुंचाया है। ये भित्ति चित्र दुर्गा सप्तसती पर आधारित हैं। इसमें मां दुर्गा के रूप के साथ महिषासुर के साथ हुए युद्ध को इन चित्रों के माध्यम से जीवंत होते हुए देखा जा सकता है। धार्मिक दृष्टि से भी ये भित्ति चित्र बेहद महत्व रखते हैं। इन चित्रों पर कुछ शरारती तत्वों ने कालिख पोत दी है तो कुछ ने इन भित्ति चित्रों पर पैन से अपने नाम लिखकर भी इन्हें नुक्सान पहुंचाया है।  


दीवारों पर बने भित्ति चित्र करते हैं सबको हैरान
मंदिर की दीवारों पर बने भित्ति चित्र सैंकड़ों वर्षों के बाद भी आज अपनी अद्वितीय चित्रकला शैली के लिए विश्व विख्यात हैं। समय की परतें भी इन चित्रों पर अपने निशान नहीं छोड़ पाई हैं। यह बात और है कि अब इन भित्ति चित्रों का वजूद पूरी तरह से खतरे में है।