नए MV एक्ट को नहीं मानेगा देव समाज, देवी-देवताओं के गुरों को यातायात नियमों में मिले राहत

Tuesday, Sep 17, 2019 - 11:51 AM (IST)

कुल्लू (शम्भू प्रकाश) : नए एम.वी. एक्ट को कुल्लू में देव समाज ने मानने से इंकार किया है। यह देवी-देवताओं के गुरों से जुड़ा मसला है। दशहरा उत्सव समिति की बैठक में भी यह मामला उठा और उसके बाद यह मसला जोर पकडऩे लगा है। धर्म से जुड़े इस मसले पर देव समाज भी एक होने लगा है। गुर देव समाज में ऐसी शख्सियत हैं, जिनके माध्यम से देवी-देवता भविष्यवाणी करते हैं और अपनी बात कहते हैं। जब किसी व्यक्ति को देवी-देवता अपने गुर के रूप में चुनते हैं तो उसके बाद वह व्यक्ति कई नियमों से बंध जाता है।

ना तो वह व्यक्ति दाढ़ी-मूंछें काट सकता है और न ही केश कटवा सकता है। इसलिए गुर को अपने बाल लंबे रखने पड़ते हैं। दशहरा उत्सव समिति की बैठक में भी यह मसला उठा और इस पर वन, परिवहन, युवा सेवाएं एवं खेल मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने भी पुलिस अधिकारियों को बताया कि जिस प्रकार सिख धर्म से जुड़े लोग बाल नहीं काटते और पगड़ी पहनते हैं, उसी प्रकार गुर भी बाल नहीं काटते और पगड़ी पहनते हैं। ऐसी स्थिति में इनके लिए हैल्मेट पहनना मुश्किल होता है।

इसलिए उन्होंने भी पुलिस महकमे को इस मसले पर कोई हल निकालने को कहा है। अब देव समाज भी इस मसले पर एक होते हुए कह रहा है कि देवी-देवताओं के गुरों को इसमें छूट मिलनी चाहिए। देव समाज से जुड़े कारदारों नानक चंद नेगी, ओम प्रकाश, नंद लाल, गुर यशपाल, पूर्ण चंद, रेबत राम, प्रेम चंद, हीरा लाल, टेक चंद व दुनी चंद आदि ने कहा कि गुरों के लिए हैल्मेट पहनना मुश्किल है, इसलिए वे हैल्मेट नहीं पहनेंगे। गुर रेबत राम ने कहा कि कई बार पुलिस बताने पर भी चालान काट रही है। इस मसले पर पुलिस कोई हल निकाले। 

जिला कुल्लू में सैंकड़ों देवी-देवता हैं और उनके मंदिर हैं। कई मुआफीदार और कई गैर-मुआफीदार देवी-देवता हैं। कई देवी-देवता ऐसे भी हैं, जिनके हालांकि अपने मंदिर नहीं हैं और उन्हें किसी खास कारकून के घर की सबसे ऊपरी मंजिल में जगह दी गई है। कई देवी-देवता ऐसे हैं, जिनके गांवों में छोटे-छोटे मंदिर हैं। सभी देवी-देवताओं के गुर, पुजारी, हारियान व कारकून आदि हैं। जिला मंडी में भी सैंकड़ों देवी-देवता हैं और उनके गुरों की संख्या भी काफी है। किसी देवता के 1, 2 व 3 गुर होते हैं तो किसी देवता के गुरों की संख्या 10-15 से भी अधिक होती है। एक अनुमान के मुताबिक जिला कुल्लू में ही गुरों की संख्या 2,000 से अधिक हो सकती है। अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव में ही 331 देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया है। इन देवी-देवताओं के साथ ही कम से कम इनसे तिगुनी संख्या में गुर भी पहुंचेंगे।

देव समाज के हैं अपने नियम

देव समाज के अपने नियम हैं और देव आदेशों को ही यहां सर्वोपरि माना जाता है। देवी-देवताओं के गुर मुख्य देव कारकून हैं और उन्हें किसी तरह की समस्या की स्थिति में देव समाज भी उनके साथ खड़ा है। हमें उम्मीद है कि पुलिस विभाग भी इनके लिए कोई हल निकालेगा और देवी-देवताओं के गुरों को यातायात नियमों में राहत मिलेगी।

Edited By

Simpy Khanna