देवी-देवताओं ने चेताया इंसान, परपंराओं से छेड़छाड़ बंद न की तो होगा बड़ा नुक्सान

Sunday, Nov 24, 2019 - 10:15 PM (IST)

कुल्लू (दिलीप/संजीव): कुल्लू जिला के देवी-देवताओं के अधिष्ठाता भगवान रघुनाथ मंदिर के प्रांगण में आयोजित देव संसद (जगती) में जिलाभर के सैंकड़ों देवी-देवताओं ने हिस्सा लिया। देव संसद में तमाम देवी-देवताओं ने देव परंपराओं के साथ लगातार हो रही छेड़छाड़ व नई परंपराएं शुरू करने पर भारी नाराजगी जाहिर करते हुए इसके गंभीर परिणाम भुगतने की भी चेतावनी दी। जगती में देवी-देवताओं ने अपने गुरों के माध्यम से कहा कि आज इन्सान इतना बड़ा हो गया कि वह देवताओं के लिए अपने तरीके से नई परंपराएं शुरू करने लग पड़ा है जबकि देवताओं की पुरातन परंपराओं को पूरी तरह से दरकिनार किया जा रहा है।

देवी-देवताओं के स्थलों को अपवित्र करने पर जताई नाराजगी

इसके साथ ही देवताओं नेअठारह करडू री सौह ढालपुर मैदान में देवी-देवताओं के स्थलों को अपवित्र करने पर भी कड़ी नाराजगी जताई। देवताओं ने अपने गूरों
के माध्यम से चेतावनी दी कि भविष्य में बड़ी आपदा को झेलने के लिए भी सभी को तैयार रहना होगा। देवी-देवताओं ने कहा कि इस समय धरती बहुत बड़ी मुश्किल में है और किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा या अन्य कोई नुक्सान हो सकता है। एक देवता ने गूर के माध्यम से कहा कि देव स्थलों पर अशुद्धि फैलाई जा रही है। इसके लिए सभी को मिलकर जप करना पड़ेगा अन्यथा इसके भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

2 से 3 महीने में अशुभ होने की दी चेतावनी

देवी-देवताओं ने गूरों के माध्यम से चेताया कि अगर इन्सान जल्द नहीं सुधरा तो भारी संकट आ जाएगा और अगर सब ठीक नहीं किया तो देवी-देवताओं में तख्ता पलट करने की क्षमता भी है। काली नाग के गूर ने कहा कि जो नहीं होना चाहिए था वह हुआ जबकि देवता धुम्बल नाग के गूर ने बड़े ही आवेश में कहा कि देव परंपरा से छेड़छाड़ किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं होगी। देवता ने 2 से 3 महीने में अशुभ होने की चेतावनी भी दी। इसी तरह से नारद दुर्वासा ऋषि के गूर ने भी सभी को आने वाले समय में किसी बड़ी आपदा के लिए सावधान रहने को कहा।

इस विवाद पर हुआ जगती का आयोजन

देव समाज से जुड़े लोगों की मानें तो पिछले दिनों आयोजित दशहरा उत्सव के दौरान दिन के समय नेताओं को खुश करने के लिए देवधुन बजाई गई थी जबकि देवधुन केवल देवताओं के लिए ही बजाई जाती है। नेताओं के सामने देवधुन बजाने से देवता नाराज हुए हैं। उल्लेखनीय है कि दशहरा उत्सव के दौरान ढालपुर मैदान में देवताओं के हजारों बजंतरियों ने एक साथ नेताओं के सामने देवधुन बजाई थी। इसके अलावा ढालपुर मैदान में देवी-देवताओं के स्थानों पर अतिक्रमण व गंदगी फैलाने पर भी देवता बहुत नाराज हैं।

देवता धुम्बल नाग ने दिए थे जगती बुलाने के निर्देश

देवता धुम्बल नाग तो दशहरा उत्सव से अपने मूल स्थान पर पहुंचने के बाद फिर से ढालपुर पहुंचे क्योंकि उनके स्थान पर किसी ने अतिक्रमण कर दिया था। उसी दिन देवता ने भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह को जगती बुलाने का निर्देश भी दिया था। देव समाज के लोगों का मानना है कि देव संसद जगती में देवताओं ने इन्हीं मसलों पर भारी नाराजगी जताते हुए इसे ठीक करने के निर्देश भी दिए हैं। वहीं देवी-देवता कारदार संघ ने भगवान रघुनाथ के मंदिर परिसर में हुई जगती से किनारा किया।

क्या बोले महेश्वर सिंह

रघुनाथ जी के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने कहा कि देवता नाग धूमल के आदेश पर जगती का आयोजन किया गया। जगती में 115 देवी-देवताओं ने भाग लिया, जिन्होंने ढालपुर में शुद्धिकरण के आदेश दिए हैं। जिस प्रकार से बार-बार देव स्थलों को अशुद्ध किया जा रहा है, इस पर देवी-देवताओं ने नाराजगी जाहिर की है। देव आदेश पर आगामी देव कार्य किया जाएगा।

Vijay