विभाग नहीं हुआ मेहरबान तो ग्रामीणों ने खुद ही कर डाला यह काम

Friday, Jun 30, 2017 - 01:05 AM (IST)

कुल्लू: सरकार और विभाग लोगों को मूलभूत सुविधा प्रदान करने का दावा करता है लेकिन ये तमाम दावे खोखले साबित हो गए हैं। इसका प्रत्यक्ष उदारहण धार्मिक नगरी मणिकर्ण स्थित कसोल से सटे ग्राहण गांव में देखने को मिल रहा है। यहां के बाशिंदों ने सरकार और बिजली बोर्ड के समक्ष कई बार बिजली बहाल करने की गुहार लगाई लेकिन बिजली बोर्ड ने ग्रामीणों की एक नहीं सुनी। बिजली बोर्ड की कार्यप्रणाली से तंग आकर ग्रामीणों ने खुद ही बिजली बहाल कर दी। ग्राहण गांव में करीब 2 माह पहले तकनीकी खराबी आने से बिजली का ट्रांसफार्मर जल गया था, जिस कारण बिजली बाधित रहने से ग्रामीणों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही थी। कई बार बिजली विभाग को अवगत करवाने के बाद बिजली बोर्ड ने नया ट्रांसफार्मर तो स्वीकृत कर दिया लेकिन बोर्ड के कर्मचारियों ने टांसफार्मर को कसोल में छोड़ दिया। 

काफी समय से कसोल में पड़ा था ट्रांसफार्मर 
ग्रामीणों की मानें तो ट्रांसफार्मर काफी समय तक कसोल में पड़ा रहा जबकि ग्रामीणों ने कई बार बिजली बोर्ड से ग्राहण गांव तक ट्रांसफार्मर पहुंचाने और बिजली बहाल करने की गुहार लगाई लेकिन बोर्ड के कानों में जंू तक नहीं रेंगी, ऐसे में ग्रामीणों ने एकजुटता दिखाकर कसोल से ग्राहण गांव तक जोखिम भरे रास्ते से ट्रांसफार्मर को गांव तक पहुंचा दिया। गांव तक ट्रांसफार्मर पहुंचाने में सबसे ज्यादा परेशानी जोड़ी पुल को पार करते समय झेलनी पड़ी। पुल की दोनों ओर रेलिंग न होने से ट्रांसफार्मर उठाने में भारी जोखिम उठाना पड़ा। ग्रामीणों ने कहा कि करीब 2 माह से गांव में अंधेरा छाया हुआ था। उन्होंने बार-बार बिजली बोर्ड से विद्युत आपूर्ति बहाल करने की मांग की लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो सका। विभाग की कार्यप्रणाली से तंग आकर ग्रामीणों ने खुद ही गांव तक ट्रांसफार्मर पहुंचा कर बिजली बहाल कर दी है।