विभाग की लापरवाही पड़ी भारी, 1 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहा दिव्यांग

Friday, Aug 18, 2017 - 01:38 AM (IST)

ऊना: एक साल से किसी दिव्यांग की विकलांगता पैंशन किसी दूसरे के खाते में विभाग द्वारा निरंतर ट्रांसफर करते रहने का मामला सामने आया है। चलने-फिरने में असमर्थ शारीरिक रूप से अक्षम उक्त अधेड़ दिव्यांग वॉकर के सहारे अपनी विकलांगता पैंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है। नंगड़ा निवासी दिव्यांग सुरेंद्र पाल दफ्तरों के कई बार चक्कर काट चुका है लेकिन सरकारी विभाग और सरकारी कार्यालयों के बाबुओं की नजर-ए-इनायत लाचार व्यक्ति पर नहीं हो पा रही है। कई स्तरों पर वह बात करके अपनी समस्या रख चुका है लेकिन बावजूद इसके टेबल दर टेबल उसको घुमाया जा रहा है। यही नहीं, डी.सी. के पास जाकर शिकायत करने की बात कही जाती है तो विभाग के कर्मचारियों का जवाब होता है कि पहले डी.सी. के पास ही शिकायत कर आओ फिर आना यहां दफ्तर। लाचार दिव्यांग अपनी पैंशन न मिल पाने के चलते पाई-पाई का मोहताज हो गया है लेकिन सरकारी तंत्र अपनी मनमर्जी से काम करने में लगा हुआ है। 

वैल्फेयर ऑफिस में नहीं होती सुनवाई
दिव्यांग सुरेन्द्र पाल का कहना है कि वह चल-फिर नहीं पाता। वॉकर लेकर जैसे-तैसे करके धीरे-धीरे वैल्फेयर ऑफिस पहुंचता है लेकिन कोई सुनवाई नहीं करता। टेबल दर टेबल घुमाया जाता है और अभद्रता से व्यवहार किया जाता है। डी.सी. सहित उच्च अधिकारियों को शिकायत करने की बात कहने पर पहले शिकायत करने की ही सलाह देकर भेज दिया जाता है। घर चलाना मुश्किल हो रहा है और कोई सुनवाई नहीं कर रहा है और न ही उसकी पैंशन उसको मिल पा रही है। 

2 बच्चों के पालन-पोषण की सता रही चिंता
39 वर्षीय सुरेन्द्र पाल लम्बे अर्से से अक्षम है। 2 साल पहले नंगड़ा में हुई सड़क दुर्घटना के बाद से वह कोई कार्य करने में पूरी तरह से असमर्थ हो चुके हैं। 5 वर्षीय बेटी और 10 वर्षीय बेटे के लालन-पालन की ङ्क्षचता लिए सुरेन्द्र पाल को पैंशन का काफी सहारा था लेकिन पिछले वर्ष अक्तूबर माह के बाद से उसे पैंशन नहीं मिल पाई है। उसके पिता जैसे-तैसे करके अपनी पैंशन के सहारे उसके बच्चों का पालन-पोषण व उसका इलाज करवाने सहित घर चलाने में उसकी मदद कर रहे हैं और उनके अलावा उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। पैंशन रुकी होने के चलते वह और भी अधिक परेशानियों से घिर गया है। किसी दूसरे के खाते में गई उसकी पैंशन कैसे रिफंड होगी और कब उसको उसकी पैंशन मिलेगी यह चिंता सुरेन्द्र को सता रही है।

नहीं बिठाई विभागीय जांच
मीडिया के दखल के बाद विभाग के अधिकारी इस मामले को देखने को मजबूर हुए तो सामने आया कि नंगड़ा निवासी सुरेन्द्र पाल की शिकायत सच्ची है और उसके खाते की बजाय किसी और सुरेंद्र के खाते में उसकी पैंशन ट्रांसफर की जा रही है। अब आनन-फानन में विभाग ने कर्मचारियों सहित डाक विभाग से इस बारे सकारात्मक कदम उठाने की बात कह दी है लेकिन पूरे मामले में न तो कोई विभागीय जांच बिठाई गई है और न ही इस कोताही पर किसी की जिम्मेदारी तय की गई है। गलती कहां से हुई है और किससे हुई है, यह भी देखना जरूरी है। हालांकि विभाग स्टाफ की कमी का हवाला दे रहा है लेकिन हर गलती के लिए स्टाफ की कमी जैसे तर्क के पीछे छिपकर जिम्मेदारी से नहीं बचा जा सकता।