दियोटसिद्ध ट्रस्ट बनाम महंत संपत्ति विवाद: पुश्तैनी मिलकीयत भूमि पर महंतों के हक-हकूक कायम

Tuesday, Oct 09, 2018 - 10:57 AM (IST)

हमीरपुर (पुनीत): मंदिर ट्रस्ट दियोटसिद्ध व मंदिर के महंतों के बीच चल रहे संपत्ति विवाद की अर्जी भी अब माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है। इसकी पुष्टि स्वयं महंत श्रीश्रीश्री 1008 राजेंद्र गिरी महाराज ने की है। बता दें कि इस बहुचर्चित विवाद का मामला 9 मई, 2018 को जस्टिस एन.वी. रमना व जस्टिस एस. अब्दुल नाजिर की डबल बैंच सुप्रीम कोर्ट ने डिसमिस कर दिया था, जिस पर ट्रस्ट ने इस दलील के साथ सुप्रीम कोर्ट में मामले को रि-स्टोर करने की अर्जी लगा दी थी कि ट्रस्ट इस मामले की पैरवी पहले ठीक से नहीं कर पाया था। 

सूत्रों की मानें तो इस मामले में ट्रस्ट की ओर से समझौते की बात भी चल रही थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए ट्रस्ट की इस अर्जी को ही खारिज कर दिया है। जानकारी के अनुसार 11 साल से कोर्ट में ट्रस्ट बनाम महंत संपत्ति विवाद पुश्तैनी मिलकीयत भूमि के हक-हकूकों को लेकर चला हुआ था। इससे पहले इस संपत्ति विवाद मामले में प्रदेश हाईकोर्ट में भी महंतों के पक्ष में फैसला आया था। इस फैसले को ट्रस्ट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जहां पहले सिंगल बैंच व 9 मई, 2018 को डबल बैंच में मामला डिसमिस हो गया था। 

सरकारी अधिग्रहण के बाद मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में गए थे महंत
16 जनवरी, 1987 को हि.प्र. सरकार द्वारा ट्रस्ट गठन के बाद दियोटसिद्ध स्टेट की सारी संपत्ति का अधिग्रहण सरकार ने कर लिया था, जिसमें मंदिर के महंतों की गुरु गद्दी से चली आ रही परपंरागत जमीनों के मालिकाना हक-हकूक से भी महंतों को महरूम कर दिया गया था। साथ ही महंतों को उनके प्राचीन परपंरागत धार्मिक रुतबे से भी बेदखल कर महंतों को ट्रस्ट में भी स्थान तक नहीं दिया गया था। जिस पर महंतों ने मालिकाना हक को लेकर न्यायालय में चुनौती दी थी। 

Ekta