4 साल बाद भी देश की जनता को आर्थिक जख्म दे रही नोटबंदी : राणा

Sunday, Nov 08, 2020 - 01:22 PM (IST)

हमीरपुर : प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने नोटबंदी की चौथी सालगिरह पर केंद्र सरकार से सवाल किया है कि आखिर आधी रात को देश की जनता पर थोपी गई नोटबंदी का क्या मतलब था। नोटबंदी के बाद से देश की जीडीपी दर -24 प्रतिशत के साथ निम्न स्तर पर सबसे बुरे दौर में पहुंच गई है। नोटबंदी को ग़लत तरीके से लागू करने के कारण लाखों लघु व मध्यम वर्गीय उद्योग इकाइयां खत्म हो गई। करोड़ों लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा तथा रोजी-रोटी के साधन खत्म होने के कारण की लोगों को जान गंवानी पड़ी। सरकार ने कहा था काले धन पर अंकुश लगेगा लेकिन हालात इसके विपरीत रहे। कालेधन पर अंकुश लगने की बजाय भ्रष्टाचार में ही इजाफा हुआ।

जारी प्रेस विज्ञप्ति में विधायक ने कहा कि नोटबंदी लागू करने के पीछे सरकार की नीयत में ही खोट था, जोकि इसे आधी रात को सबसे छिपाकर अचानक थोपा गया। यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी इस दिन को विश्वासघात के रूप में मना रही हैं, क्योंकि देश की जनता के लिए यह दिन किसी दुःस्वपन से कम नहीं था जिससे लोगों की माली हालत इतनी बिगड़ी कि अब तक अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं हुआ है। लोगों को रात-रात भर एटीएम में लाइन लगाकर पैसे निकलवाने को खड़ा रहना पड़ता था। नोटबंदी के कारण गरीब परिवारों को भूखे पेट रात बिताने पर भी मजबूर होना पड़ा। 

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 में थोपी गई नोटबंदी से मिले जख्म अब तक हरे-भरे हैं तथा अब भी आर्थिक जख्म जनता को मिल रहे हैं। उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि काले धन पर अंकुश लगाने के लिए 500 व 1,000 रूपए के नोट बंद करने का राज क्या था, इसका बड़े-बड़े अर्थशास्त्री भी आज तक पता नहीं चला पाए हैं, क्योंकि नोटबंदी का फायदा होने के बजाय इसके नुक्सान की फेहरिस्त ही लंबी हुई है। उन्होंने कहा कि अच्छे दिनों का झांसा देकर सरकार ने नोटबंदी व जीएसटी थोपकर जनता को बुरे दिन दिखाकर छलने का ही काम किया है तथा केंद्र सरकार के हरेक फैसले का उद्देश्य चंद चहेते उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाना ही रहा है, यही कारण है कि अब तक इसी वर्ग के हितों को लेकर निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा कि अपनी नाकामियों को छिपाने व अपना वर्चस्व बनाए रखने को केंद्र सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं पर नियंत्रण करने की कूटनीतिक चाल चलकर उनकी गरिमा को भी ठेस पहुंचाने का काम किया है, ताकि अपनी मनमानी की जा सके। चुनाव आयोग व सूचना आयोग से लेकर कई राष्ट्रीय आयोगों पर अपनी मनमानी थोपने का प्रयास किया जा रहा है।
 

prashant sharma