पीस मील वर्करों के लिए ठोस नीति बनाने की मांग

Monday, Dec 31, 2018 - 10:57 AM (IST)

धर्मशाला : वर्तमान समय में एच.आर.टी.सी. जिन कर्मचारियों के सहारे सड़कों पर दौड़ रही है दरअसल प्रदेश सरकार उन कर्मचारियों के लिए कोई भी ठोस नीति नहीं बना पाई है। प्रदेश सरकार अपने एक साल के कार्यकाल का जश्न मना रही है कि एक साल के भीतर उन्होंने आम जनता व कर्मचारी वर्ग के लिए अच्छा कार्य किया है। वास्तव में निगम कर्मचारी वर्ग ही सरकार की नीति से परेशान हुआ बैठा है। यह दुखड़ा प्रदेश भर में एच.आर.टी.सी. वर्कशॉप में कार्यरत पीस मील वर्करों का है, जिनके लिए सरकार द्वारा न तो नीति बनाई है और न ही उनके लिए वेतन निर्धारित कर पाई है।

स्टाफ की कमी के चलते काम का बोझ भी ज्यादा

धर्मशाला में निगम की वर्कशॉप में कार्यरत संदीप भट्टनागर ने बताया कि प्रदेश भर की एच.आर.टी.सी. की कर्मशालाओं में कार्यरत पीस मील कर्मचारी 7 से 8 घंटे निगम के विभिन्न विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। स्टाफ की कमी के चलते काम का बोझ भी ज्यादा, ड्यूटी 8 घंटे, जोखिम भी पूरा, इसके बावजूद नाममात्र वेतन, वहीं पिछली सरकार के समय बदली गई पीस मील नीति को भी प्रदेश सरकार लागू नहीं कर पा रही है। संदीप भट्टनागर ने बताया कि धर्मशाला वर्कशॉप में 15 नियमित कर्मचारी बचे हैं और वह भी कुछ समय बाद सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

निगम के एम.डी. को मांग पत्र सौंपा जाएगा
उन्होंने बताया कि विधानसभा में भी परिवहन मंत्री व मुख्यमंत्री को पीस मील वर्करों के लिए ठोस नीति बनाने को लेकर मांग पत्र सौंपा गया था लेकिन अभी तक इस पर कोई भी कदम सरकार ने अभी तक नहीं उठाया है। उन्होंने बताया कि जनवरी में पीस मील कर्मचारी प्रदेश में राज्य स्तरीय बैठक करने जा रहे हैं जिसमें निगम के एम.डी. को मांग पत्र सौंपा जाएगा। यदि 15 दिनों के भीतर सरकार या परिवहन मंत्री कोई उचित निर्णय नहीं लेती है तो बजट सत्र के दौरान पीस मील कर्मचारी पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ रोष प्रकट करेंगे।
 

kirti