दुर्घटना में नहीं हुई पति की मौत, 3 लोगों पर जताया हत्या का शक

Monday, Sep 04, 2017 - 02:05 AM (IST)

चम्बा: मेरे पति की मौत गाड़ी दुर्घटना में नहीं हुई है बल्कि मेरे पति की हत्या की गई है और इसे दुर्घटना का रूप देने का प्रयास किया गया है। यह बात मृतक विजय अबरोल की पत्नी मीनाक्षी अबरोल ने पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि इस मामले में पुलिस की कार्यशैली भी संदेह के घेरे में है क्योंकि इस मामले को लेकर पुलिस में मैंने जो बयान दिया है, उसमें मैंने 2-3 लोगों पर अपने पति की हत्या करने का शक जताया था लेकिन अफसोस की बात है कि अभी तक पुलिस ने उक्त लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में नहीं लिया है। महिला का कहना है कि जिस हालत में उसके पति का शव मिला था, वह अपने आप में यह कहानी बयां कर रहा था कि यह दुर्घटना नहीं बल्कि एक हत्या का मामला है।

तेजधार हथियार से काटी गई पति की गर्दन
महिला ने कहा कि उसके पति की पहले किसी तेजधार हथियार के साथ गर्दन को काट कर धड़ से अलग किया गया, उसके बाद श्व सड़क से नीचे फैंका गया। इस हत्या की साजिश को हादसे का रूप देने के लिए बाद में गाड़ी को सड़क से नीचे फैंक दिया गया। महिला ने कहा कि इस बात का प्रमाण यह है कि उनके पति की गाड़ी में खून की एक भी बूंद पड़ी हुई नहीं मिली। अगर उसकी पति की मौत गाड़ी दुर्घटना में होती तो नि:संदेह गाड़ी में खून के धब्बे तो मौजूद रहते। यही नहीं, उसके पति की गर्दन धड़ से अगल मिली है और धड़ पर कमीज मौजूद नहीं थी। 

सिर का धड़ से अगल होना किसी भी सड़क दुर्घटना में संभव नही
इसके अलावा सिर का धड़ से अगल होना किसी भी सड़क दुर्घटना में संभव नहीं है। अगर ऐसा होता तो मौके पर कम से कम वह वस्तु तो मौजूद होनी चाहिए थी, जिसकी चपेट में आकर उसके पति की गर्दन धड़ से एकदम से अलग होकर दूर जा गिरी। महिला ने कहा कि ये तमाम बातें इस बात को पुख्ता करती हैं कि उसके पति की हत्या हुई है न कि सड़क दुर्घटना में मौत हुई। उसने पुलिस विभाग से मांग की है कि उसने अपने बयान में जिन लोगों पर पति की हत्या करने का शक जताया है, उन्हें गिरफ्तार कर पुलिस सख्ती से पूछताछ करे तो सच्चाई सामने आ जाएगी।

डी.सी. से मिलकर सौंपा जाएगा मांग पत्र
महिला ने बताया कि इस मामले को लेकर वह सोमवार को अपने रिश्तेदारों व ग्रामीणों के साथ डी.सी. से मुलाकात कर इस संदर्भ में मिलेगी और प्रशासन को 5 दिन के भीतर उसकी मांग को पूरा करने से संबंधित मांग पत्र सौंपा जाएगा। उसके अल्टीमेटम पर प्रशासन ने गंभीरता नहीं दिखाई तो वह ग्रामीणों के साथ मिलकर इंसाफ पाने के लिए सड़क पर धरना दे देगी। इस स्थिति के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से जिम्मेदार होगा।