नदी में कैमिकल युक्त पानी से मरीं हजारों मछलियां, जानिए लोगों ने किसे ठहराया जिम्मेदार

punjabkesari.in Friday, Jun 19, 2020 - 09:41 PM (IST)

कुल्लू (ब्यूरो): कुल्लू जिला में पिन पार्वती नदी में एक सप्ताह से कैमिकल युक्त पानी बह रहा है जिस कारण नदी में हजारों मछलियां मौत का शिकार हो गई हैं। कई किसानों ने अपनी फसल की सिंचाई के लिए नदी का पानी लिफ्ट किया है और उनकी फसल भी खराब हो गई है, ऐसे में वकशाल में इस कैमिकल युक्त पानी से ट्राऊट मछली मर गई है जिससे किसानों के साथ-साथ मछली उत्पादकों को भी लाखों रुपए का नुक्सान झेलना पड़ रहा है।

सैंज में हो रहा हजारों मैगावाट बिजली का उत्पादन

बता दें कि सैंज में एशिया के दूसरे नंबर की परियोजनाओं का निर्माण हो चुका है और हजारों मैगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। पावर हाऊस, डैम साइट और टनल की मुरम्मत के दौरान जो कैमिकल युक्त सिल्ट निकलती है उसे सीधे तौर पर नदी में बहाया जा रहा है, जिससे पानी प्रदूषित हो रहा है। उक्त सभी परियोजनाओं को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आदेश हैं कि वे सिल्ट युक्त पानी व किसी भी प्रकार की अन्य सामग्री फिल्टर करके ही बहाएं लेकिन यहां प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कानून की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, जिस कारण एक सप्ताह से ताजा उदाहरण सैंज नदी में देखने को मिल रहा है।

नदी का पानी पीने से पशु भी हो गए हैं बीमार

चाहे वह पार्वती जलविद्युत परियोजना चरण-2 है या चरण 3 या फिर सैंज प्रोजैक्ट और मिनी प्रोजैक्ट की बात हो लेकिन सभी प्रोजैक्ट पर्यावरण नियमों की पूरी तरह से धज्जियां उड़ा रहे हैं। नदी में ऐसा तरल पदार्थ बहाया जा रहा है, जिससे नदी में हजारों छोटी-बड़ी मछलियां मर रही हैं। वहीं इस नदी का पानी पीने से पशु भी बीमार हो गए हैं। इतना ही नहीं, किसान भी अपनी फसल की सिंचाई के लिए नदी का पानी प्रयोग में लाते हैं और उनकी फसल भी बर्बाद हो गई है। लोगों ने सरकार व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आग्रह किया है कि वे समय-समय पर परियोजनाओं की छानबीन करते रहें ताकि इस तरह का कैमिकल युक्त पानी नदी में न बहाया जा सके।

क्या कहते हैं ग्रामीण

बकशाल निवासी गोविंद ङ्क्षसह ठाकुर व बुध राम की हजारों ट्राऊट मछलियां भी इस कैमिकल युक्त पानी का शिकार हो गई हैं। उन्होंने सभी परियोजनाओं को दोषी ठहराया है और नायब तहसीलदार के माध्यम से पार्वती परियोजना चरण 3 व अन्य परियोजना को उनके नुक्सान की भरपाई के लिए ज्ञापन सौंपा है। प्रभावित परिवारों ने परियोजना प्रबंधन से मुआवजे की गुहार लगाई। प्रभावित गोविंद ङ्क्षसह ठाकुर व बुध राम ने पार्वती परियोजना से आग्रह किया है कि एक बार डैम को खाली करवा दें ताकि यह सिल्ट वाला पानी पूरा बह जाए। मछली उत्पादकों ने सरकार व मत्स्य विभाग से आग्रह किया है कि मुआयना कर उनके नुक्सान की भरपाई की जाए।

क्या कहते हैं परियोजना महाप्रबंधक

इस संदर्भ में जब पार्वती परियोजना चरण 3 के महाप्रबंधक विक्रम ङ्क्षसह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि परियोजना के कार्य व मुरम्मत के लिए कोई भी कैमिकल प्रयोग नहीं होता है। मछलियां मरने का कारण और हो सकता है। उन्होंने कहा कि मिनिस्ट्री के साथ हुए एमओयू के अनुसार 15 प्रतिशत पानी छोडऩा ही पड़ता है तो वह हर रोज डैम से 1,151 क्यूबिक मीटर पानी ही छोड़ते हैं।


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Vijay

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