Scrub Typhus ने ली 2 और महिलाओं की जान, IGMC में तोड़ा दम

punjabkesari.in Thursday, Sep 23, 2021 - 09:53 PM (IST)

शिमला (जस्टा): प्रदेश में स्क्रब टाइफस जानलेवा बनता जा रहा है। आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस ने 2 महिलाओं की जान ली है। दोनों महिलाओं का उपचार आईजीएमसी में चल रहा था। इनमें एक महिला शिमला के सुन्नी और दूसरी सिरमौर के सराहां की रहने वाली थी। बताया जा रहा है कि सराहां की 29 वर्षीय महिला को 19 सितम्बर को आईजीएमसी में भर्ती करवाया गया था जबकि सुन्नी की महिला को भी कुछ दिन पहले भर्ती किया गया था। दोनों महिलाएं आईजीएमसी के मेडिसन वार्ड में भर्ती थी। इस साल में अब तक  स्क्रब टाइफस से 3 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं 174 लोग स्क्रब टाइफस की चपेट में आ चुके हैं। जान गंवाने वाली तीनों महिलाएं ही है।

मंडी की 19 वर्षीय युवती की हो चुकी है मौत

इससे पहले 7 सितम्बर को मंडी की 19 वर्षीय युवती की मौत आईजीएमसी में स्क्रब टाइफस से हुई थी। अभी तक स्क्रब टाइफस के 17 पॉजिटिव मामले आ चुके हैं। अभी तक 1000 लोगों के सैंपल लिए जा चुके है। रोजाना आ रहे स्क्रब टाइफस के मामलों के चलते स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना के साथ इससे भी सर्तकता बरतने के निर्देश जारी कर दिए हैं ताकि इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सके। बरसात के दिनों में जलजनित बीमारियों भी अधिक फैलती हैं, ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने लोगों को सर्तक रहने की सलाह दी है। ध्यान रहे कि अगर कोई व्यक्ति घास काटता है तो वह चिकित्सक को बताए ताकि समय से उसका इलाज हो सके। विभाग का दावा है कि स्क्रब टाइफस को लेकर स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है लेकिन महज नजर रखने से इस बीमारी पर काबू पाना मुश्किल है।

3 सालों में कितने हुए पॉजिटिव व कितनों की गई जान

बीते 3 सालों में स्क्रब टाइफस के पाजिटिव मामले आने के साथ-साथ मौतें भी हुई हैं। 2018 में हिमाचल में 1940 पॉजिटिव मरीज व 21 मरीजों की मौत हुई। वहीं 2019 में 1597 पॉजिटिव मरीज व 14 लोगों की मौत हुई। इसके अलावा 2020 में 565 पॉजिटिव मरीज के साथ 6 लोगों की मौत और 2021 में अब तक 174 लोग स्क्रब टाइफस से ग्रसित हुए है जबकि 3 की मौत हुई है।

ऐसे फैलता है स्क्रब टाइफस

स्क्रब टाइफस एक जीवाणु से संक्रमित पिस्सू के काटने से फैलता है जो खेतों, झाड़ियों व घास में रहने वाले चूहों में पनपता है। जीवाणु चमड़ी के माध्यम से शरीर में फैलता है और स्क्रब टाइफस बुखार बन जाता है। चिकित्सकों का तर्क है कि लोगों को चाहिए कि इन दिनों झाड़ियों से दूर रहें और घास आदि के बीच न जाएं लेकिन किसानों और बागवानों के लिए यह संभव नहीं है क्योंकि इन दिनों खेतों और बगीचों में घास काटने का अधिक काम रहता है। यही कारण है कि स्क्रब टाइफस का शिकार होने वाले लोगों में किसान और बागवानों की संख्या ज्यादा रहती है। लोगों को जैसे ही कोई लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

स्क्रब टाइफस के लक्षण

स्क्रब टाइफस होने पर मरीज को तेज बुखार जिसमें 104 सेर 105 तक जा सकता है। जोड़ों में दर्द और कंपकपी ठंड के साथ बुखार, शरीर में ऐंठन अकड़न या शरीर का टूटा हुआ लगना, अधिक संक्रमण में गर्दन, बाजू व कूल्हों के नीचे गिल्टियां का होना आदि इसके लक्षण हैं। 

स्क्रब टाइफस से बचाव के उपाय 

लोग सफाई का विशेष ध्यान रखें। घर व आसपास के वातावरण को साफ रखें। घर व आसपास कीटनाशक दवा का छिड़काव करें। मरीजों को डॉक्सीसाइक्लन और एजिथ्रोमइसिन दवा दी जाती है। स्क्रब टाइफस शुरूआत में आम बुखार की तरह होता है लेकिन यह सीधे किडनी और लीवर पर अटैक करता है। यही कारण है कि मरीजों की मौत हो जाती है।

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Content Writer

Vijay

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