बेटियां बचाने के लिए हिमाचल सरकार का बड़ा कदम, लिया यह फैसला

Monday, Dec 05, 2016 - 12:25 PM (IST)

शिमला: बेटियों को बचाने के लिए हिमाचल सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। गर्भपात को लेकर सख्त हिमाचल सरकार ने बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए अल्ट्रासाउंड मशीनों में ट्रैकिंग चिप लगाने का फैसला लिया है। मशीनों में चिप लगाने का काम जल्द शुरू किया जाएगा। सबसे पहले इसकी शुरुआत कम लिंगानुपात वाले ऊना और कांगड़ा जिले से की जाएगी। ट्रैकिंग चिप के रिकॉर्ड को बाद में अस्पतालों और आंगनबाड़ी केंद्रों में वेरिफाई किया जाएगा।


स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने बताया कि इसके लिए कंट्रोल रूम तैयार किया जाएगा। इसमें हर मशीनों के शुरू होने से लेकर बंद होने की जानकारी रखी जाएगी। जिसका अल्ट्रासाउंड होगा, उसका पूरा ब्यौरा भी विभाग के पास उसी मशीन के जरिए पहुंच जाएगा। इतना ही नहीं इस जानकारी को विभाग संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य अधिकारियों और आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ताओं को उपलब्ध कराएगा। इसके बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उस महिला की डिलिवरी होने तक हर अपडेट लेती रहेगी। कौल सिंह ने बताया कि प्रदेश भर में 265 अल्ट्रासाउंड क्लीनिक पंजीकृत हैं। इनमें 86 सरकारी और 179 निजी क्षेत्र में हैं। 


इसलिए पड़ी अल्ट्रासाउंड मशीन की जरूरत
अल्ट्रासाउंड मशीन संचालक दिन भर विभाग की निगरानी के चलते गड़बड़ी नहीं कर पाते लेकिन कुछ मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें देर रात लिंग जांच की बात सामने आई है। इसी के चलते ही आधुनिक तकनीक से मानीटरिंग की कवायद शुरू की गई। 


कम है यहां लिंग अनुपात
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार प्रदेश का बाल लिंग अनुपात 1000 लड़कों पर 909 लड़कियों का है। 845 के बाल लिंग अनुपात के साथ हमीरपुर का गलोर इस सूची में सबसे नीचे है। 875 के साथ कांगड़ा का टियारा, 877 के साथ कांगड़ा का गंगथ और 879 के साथ मंडी का बलद्वाड़ा कम लिंग अनुपात की श्रेणी में शामिल है।