मिसाल : बेटियों ने पहले दिया पिता की अर्थी को कंधा फिर निभाया बेटे का फर्ज

Saturday, Sep 08, 2018 - 06:01 PM (IST)

कुल्लू: बेटियां आजकल बेटों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। चाहे फिर वो बॉर्डर हो या फिर घर-गृहस्थी। इसी कड़ी में एक बेटी ने मिसाल पेश करते हुए अपने पिता की अर्थी को कंधा देने के साथ-साथ उन्हें मुखाग्नि भी दी, जिससे बेटी ने अपने पिता की इच्छा को भी पूरा कर दिया। आज के समय में बेटा-बेटी बराबर हैं और सिर्फ सोच बदलने की जरूरत है। यह वाकया बठाहड़ गांव हरिपुर का है। 46 वर्षीय शिवलाल हैड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे। जानकारी के अनुसार मृतक पहले आर्मी में ऑफिसर थे और वर्तमान समय में पुलिस विभाग शिमला में तैनात थे, जहां 5 सितम्बर को हार्टअटैक से उनकी मौत हो गई। दोनों बेटियों ने पिता की अर्थी को श्मशानघाट तक कंधा दिया। छोटी बेटी नीलम भी ए.एन.एम. स्कूल गांधीनगर में नर्सिंग की टे्रनिंग कर रही है।

पिता के सपनों को पंख लगाएंगी बेटियां
पिता शिवलाल और माता कमला को आदर्श मानने वाली बेटियां किरण व नीलम का कहना है कि वे अपने पिता के सपनों को पंख लगाना चाहती हैं। उनके पिता का सपना था कि वे नर्स बनकर रोगियों की सेवा करें, साथ ही उन्हें शिक्षा दी गई है कि यदि किसी कारणवश किसी बीमार व्यक्ति को धन की आवश्यकता पड़ती है तो वे धन जुटाकर रोगियों की तन, मन और धन से सेवा करें। यही मानव धर्म है। बेटी किरण कहती है कि पिता ने जो शिक्षा दी है, उसे वह मृत्युपर्यंत पूरा करने का प्रयास करेगी।

Vijay