जान हथेली पर लेकर हो रहा खतरनाक सफर, यात्रियों की निकल रहीं चीखें

Thursday, Aug 31, 2017 - 11:21 PM (IST)

उदयपुर: सीमा पर जोखिमपूर्ण सड़क मार्गों की चुनौतियां स्थानीय लोगों सहित सैन्य बलों के  रोंगटे खड़े करने लगी हैं। हिंदोस्तान-तिब्बत राष्ट्रीय राजमार्ग से आवश्यक चीजों की आपूर्ति लंबे समय से सेना के लिए चुनौती बनी हुई है जबकि अब ग्रांफू  से लोसर तक सामरिक महत्व का करीब 90 किलोमीटर लंबा रोड दुनिया के नक्शे से मिटने लगा है। जानलेवा हो चुके सामरिक महत्व के सड़क मार्ग पर तमाम डंगे गिर चुके हैं जबकि उफनते नालों से क्षतिग्रस्त सड़क मार्गों का कई स्थानों पर नामोनिशान मिट चुका है। मार्ग पर वाहनों के खूंखार हिचकोले यात्रियों को चीखने-चिल्लाने पर विवश कर रहे हैं। कई सालों से इस सड़क मार्ग का उत्तरदायित्व बी.आर.ओ. के पास है। इस बार भी केवल बर्फ  हटाने के बाद बी.आर.ओ. ने कत्र्तव्य से इतिश्री कर ली है। नतीजतन इस सफर के यात्रियों का रब ही राखा है। 

बेहद जोखिमपूर्ण बन चुका है कुल्लू-काजा रूट
बताया जा रहा है कि कुल्लू से काजा जा रहीं हिमाचल प्रदेश केलांग डिपो की बस सेवाओं के लिए भी यह रूट अब बेहद जोखिमपूर्ण बन चुका है। किसी अनहोनी को आमंत्रित कर रहे इस रूट की दुर्दशा में दुर्घटनाओं की संभावना हर समय बढ़ रही है। बसों के हिचकोले यात्रियों की सांसें हलक में अटका रहे हैं। हालात नियंत्रण से इतने बाहर हो चुके हैं कि कई स्थानों पर बस का टायर सड़क से अगर 2 इंच भी बाहर चला गया तो बसों को चंद्रा नदी में जाने से कोई नहीं रोक सकता। चालक की मामूली सी चूक अब किसी भी समय जानलेवा हो सकती है। 

ऐसा खतरनाक रोड आज तक नहीं देखा
एच.आर.टी.सी. के चालक संजीव कुमार ने बताया कि बहुत संभल कर रास्ते में चलना पड़ रहा है। ड्यूटी काफी निभाई लेकिन ऐसा खतरनाक रोड आज तक नहीं देखा। गौरतलब है कि ग्रांफू  से लोसर तक के सफर में मंत्री से लेकर संतरी तक सभी लोग मुसीबत में फंस चुके हैं। देश-विदेश के कितने पर्यटक रोजाना यहां फंस रहे हैं इस तथ्य केआंकड़े आज तक किसी ने दर्ज नहीं किए हैं। प्रशासनिक अधिकारी कई माह से बी.आर.ओ. को उसका फर्ज याद दिला रहे हैं लेकिन बी.आर.ओ. पर कोई असर नहीं हुआ है। 

ग्रांफू से लोसर तक चलने लायक नहीं सड़क मार्ग
उपमंडल के कई जनप्रतिनिधियों ने बताया कि ग्रांफू  से लोसर तक के क्षेत्र में सड़क मार्ग की हालत अब वाहनों के चलने लायक नहीं रही है। हिमाचल लोक निर्माण विभाग के समय में लगाए गए अधिकतर डंगे ढह चुके हैं। बेहद जोखिम भरे रोड में रोजाना अनेक वाहन पलटते-पलटते बच रहे हैं। बी.आर.ओ. यदि अब भी हरकत में न आया तो जरूरत पडऩे पर सीमा क्षेत्र के प्रहरियों तक समय रहते जरूरी सामान नहीं पहुंच पाएगा। 

बी.आर.ओ. की नहीं खुल रही नींद
खुरिक पंचायत के प्रधान संजीव कुमार नवांग दोरजे, सतपाल महाजन, सुरेश व दोरजे नमज्ञाल सहित काजा में कई लोगों ने बताया कि बी.आर.ओ. लंबे समय से यहां काम नहीं कर रहा है। उनका कहना है कि यहां केंद्र सरकार के धन का केवल दुरुपयोग हो रहा है सड़कों की हालत नहीं सुधर रही है। उन्होंने कहा कि बी.आर.ओ. से तो यहां हि.लो.नि.वि. ही अच्छा था। ऐसे हालातों का सामना क्षेत्र के लोगों को कभी नहीं करना पड़ा। बी.आर.ओ. की अगर अब भी नींद नहीं टूटी तो काजा से ग्रांफू  सड़क मार्ग का वजूद जल्द ही नक्शे से गायब होने वाला है।