इस धार्मिक पर्यटन नगरी पर मंडरा रहा बाढ़ का खतरा

Wednesday, Jul 12, 2017 - 01:09 AM (IST)

कुल्लू: धार्मिक पर्यटन नगरी मणिकर्ण पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। पार्वती में भयंकर बाढ़ कभी भी नगरी को जमींदोज कर सकती है। वर्ष 2001 में आई बाढ़ से मची तबाही को भी लोग आज तक भूले नहीं हैं। एक तरफ मणिकर्ण पर पहाड़ी से गिरने वाली चट्टानों का खतरा है, वहीं दूसरी ओर बाढ़ का भी खौफ सता रहा है। 2 वर्ष पहले गाडग़ी की पहाडिय़ों से गुरुद्वारे पर गिरी चट्टानों से 7 लोग काल का ग्रास बन गए थे और 11 लोग बुरी तरह जख्मी हुए थे। वर्ष 2001 में पार्वती नदी में आई बाढ़ के कारण पर्यटन निगम का होटल ढह गया था। राम मंदिर के ठीक सामने रथ यात्रा वाला मैदान भी धंस गया था। अन्य कई भवन और दुकानें भी बाढ़ की जद्द में आ गई थीं।

बाढ़ से बचाने को लगाए थे क्रेटवाल
वर्ष, 2005 में बाढ़ से नगरी को बचाने के लिए नदी किनारे क्रेटवाल लगा दिए गए थे लेकिन वे कुछ साल में ही खोखले हो गए। अब फिर से नदी में बाढ़ का खतरा नगरी पर मंडरा रहा है। मणिकर्ण के प्रधान देवानंद, इलाकावासी संजीव शर्मा, चांद शर्मा, नरेश कुमार, विनोद कुमार व हरीश ने कहा कि खोखले पड़े क्रेटवाल की जगह पक्की आर.सी.सी. सुरक्षा दीवार लगाने के लिए कई बार प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व जिला प्रशासन को लिखा गया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सी.एम. से मिलेंगे स्थानीय लोग
नगरी पर मंडरा रहे बाढ़ के खौफ ने लोगों की नींद व चैन को छीन रखा है। पंचायत प्रधान देवानंद ने कहा कि 13 जुलाई को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह मणिकर्ण के दौरे पर आ रहे हैं। नगरी को बाढ़ से बचाने के लिए उचित प्रबंध किए जाने की मांग को लेकर अन्य पंचायत प्रतिनिधि और स्थानीय लोग मुख्यमंत्री से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि पार्वती नदी में जगराईं नाला, ब्रह्मगंगा व तोष नाला सहित अन्य नाले मिलते हैं। पूर्व में भी इन नालों में आई बाढ़ से पार्वती का जल स्तर बढ़ा और बाढ़ ने तबाही मचाई थी। अब फिर से खतरा बना हुआ है।

क्या कहते हैं एस.डी.एम. कुल्लू
वहीं एस.डी.एम. कुल्लू रोहित राठौर ने कहा कि इस बारे कोई जानकारी नहीं है। फिर भी यदि मणिकर्ण में बाढ़ का खतरा है और सुरक्षा दीवार आदि निर्माण की योजना है तो इसकी फाइल को देखूंगा। किस विभाग को यह कार्य करने को कहा है इसका पता लगाकर उचित दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे।