आलू की फसल पर मंडराने लगा खतरा, कोहरे और बारिश ने बढ़ाई किसानों की टेंशन

punjabkesari.in Thursday, Jan 20, 2022 - 12:15 PM (IST)

ऊना (अमित शर्मा) : मध्यम पर्वतीय क्षेत्र की श्रेणी में गिने जाने वाले हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला में आलू की फसल पर खतरा मंडराने लगा है। जनवरी महीने में महज 20 दिनों के भीतर बारिश का दूसरा बड़ा दौर शुरू हो चुका है। वहीं इससे पहले लगातार धुंध और घने कोहरे के चलते भी फसलों पर काफी प्रतिकूल असर पड़ा नजर आता है। जिला में आलू की फसलें नवंबर से लेकर अप्रैल माह तक तीन बार ली जाती है। जिनमें पहली फसल की बिजाई सितंबर महीने में हो जाती है जबकि दूसरी फसल की बिजाई नवंबर और दिसंबर में होने के बाद जनवरी में इसकी हार्वेस्टिंग हो जाती है। वहीं तीसरी और पक्की फसल जिसे कहा जाता है उसकी भी बिजाई जनवरी में शुरू होती है और उसकी हार्वेस्टिंग अप्रैल में जाकर होती है। वर्तमान समय में मौसम की लगातार पड़ रही मार के चलते जहां किसानों के माथे पर शिकन आने लगी है, वहीं अब वैज्ञानिक भी इस विषय में चिंतित नजर आ रहे हैं। 

जिला में चल रहे वर्तमान मौसम के हालातों के मद्देनजर वैज्ञानिकों ने आलू की खेती करने वाले किसानों को परामर्श दिया है कि वह दिन में एक बार अपने खेतों का भ्रमण जरूर करें। आलू की फसल में आ रहे बदलाव को जरूर नोटिस करते हुए उसे वैज्ञानिकों के साथ साझा करते रहें। यदि आलू के पत्तों पर काले रंग के धब्बे नजर आते हैं, तो अवश्य उसका हल करने की तैयारी करें, इस समय अर्ली ब्लाइट की संभावना हो सकती है। लेकिन अर्ली ब्लाइट से ज्यादा लेट ब्लाइट आलू की फसल के लिए खतरनाक है। वैज्ञानिकों की माने तो यह किसी किसान के अपने खेत में ना होकर आस-पड़ोस के खेत में भी हो सकता है। उससे भी किसानों को सचेत रहने की जरूरत है। यदि किसी प्रकार की दिक्कत नहीं भी आ रही है तब भी फसल पर वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई दवाओं का छिड़काव कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान मौसम के हालातों के अनुसार जिला में धूप नजर नहीं आ रही है वहीं नमी लगातार बनी रह रही है, इन्हीं परिस्थितियों में ब्लाइट की संभावना बेहद ज्यादा बढ़ जाती है। जिस से निपटने के लिए कृषि वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों से किसानों को लगातार संपर्क बनाए रखना होगा।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

prashant sharma

Recommended News

Related News