भारत की शिक्षा प्रणाली में धर्मनिरपेक्ष नैतिकता जरूरी : दलाईलामा

Friday, Aug 28, 2020 - 09:02 PM (IST)

धर्मशाला (सौरभ): तिब्बत के सर्वोच्च आध्यात्मिक नेता दलाईलामा ने भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली में धर्मनिरपेक्ष नैतिकता की आवश्यकता पर पुन: बल दिया है। मैक्लोडगंज स्थित अपने निवास से बीते दिन वीडियो कॉफ्रैंसिंग के माध्यम से अनुयायियों के एक समूह के साथ बातचीत में उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत में आधुनिक शिक्षा और प्राचीन भारतीय परंपरा को संयोजित करने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा प्रणाली को और अधिक उपयुक्त बनाने के लिए अहिंसा और करुणा जैसी भारतीय परम्पराओं को बच्चों को सिखाया जा सकता है।

तिब्बती भाषा और संस्कृति की रक्षा करने की दिशा में काम किया

उन्होंने कहा कि वह वर्ष 2011 में तिब्बत की राजनीतिक जिम्मेदारी से पूरी तरह मुक्त हो गए थे लेकिन फिर भी उन्होंने तिब्बती भाषा और संस्कृति की रक्षा करने की दिशा में काम किया। उन्होंने कहा कि एक तिब्बती के रूप में अपनी 4 प्रतिबद्धताओं में उन्होंने भारतीय नालंदा परंपरा से लिए तिब्बती बौद्ध ज्ञान को संरक्षित करने का संकल्प लिया है।

आधा वैज्ञानिक, आधा बौद्ध कहलाता हूं

दलाईलामा ने कहा कि मुझे अक्सर आधा वैज्ञानिक व आधा बौद्ध कहा जाता है। उन्होंने चीन की निजी कंपनियों से तिब्बती पठारों को बचाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया जो तिब्बत की पारिस्थितिकी को खतरे में डालते हुए प्राकृतिक संसाधनों का अन्धाधुंध दोहन कर रही हैं जबकि ये पठार एशिया के कई देशों के लिए पानी का एकमात्र स्रोत हैं।

Vijay