ब्यास के तटीकरण प्रोजैक्ट पर CWRM ने लगाया यह ऑब्जैक्शन

Wednesday, Aug 02, 2017 - 02:19 AM (IST)

कुल्लू: ब्यास नदी के तटीकरण से संबंधित प्रोजैक्ट की फाइल लटक गई है। 1200 करोड़ रुपए के इस प्रोजैक्ट को अभी अप्रूवल का इंतजार करना पड़ेगा। दिल्ली में केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने प्रोजैक्ट की फाइल में कुछ ऑब्जैक्शन लगाकर इसे केंद्रीय जल बोर्ड के चंडीगढ़ स्थित कार्यालय को वापस भेजा है। इसके लिए प्रोजैक्ट से संबंधित नए सिरे से कुछ बिंदुओं पर डाटा तैयार करके केंद्रीय जल मंत्रालय को भेजना पड़ेगा। उसके बाद ही फाइल के आगे खिसकने के आसार हैं तभी प्रोजैक्ट को धरातल पर उतारा जा सकेगा। 

बरसात के चलते ब्यास नदी उफान पर
बता दें कि ब्यास नदी और इसकी सहायक नदियों व नालों का तटीकरण होना है। इन दिनों बरसात के चलते ब्यास नदी उफान पर है और कई जगह जलस्तर बढ़ जाने से भूमि कटाव भी हो रहा है। इसके अलावा ब्यास की सहायक नदी पार्वती व तीर्थन ने भी रौद्र रूप धारण किया हुआ है। ब्यास नदी के सहायक नालों में गड़सा नाला, लारजी नाला, सैंज नाला, छरोल नाला, शाट नाला, जैल नाला, ब्रह्मगंगा, मलाणा नाला, डूंखरा नाला, सरवरी खड्ड, छाकी नाला, बड़ाग्रा नाला, फोजल नाला, काईस नाला, सोलंग नाला व जगतसुख नाला सहित अन्य कई खड्डें हैं। 

तटीकरण पर खर्च होगी 1200 करोड़ रुपए की अनुमानित राशि
1200 करोड़ रुपए की अनुमानित राशि ब्यास सहित इन अन्य नदियों और नालों के तटीकरण के लिए है। इस बजट राशि में इजाफा भी हो सकता है। सरवरी खड्ड के कारण कुल्लू शहर के कई मकानों को खतरा बना हुआ है। मणिकर्ण में भी ब्यास नदी से राम मंदिर से लेकर गुरुद्वारा तक के पूरे दायरे को खतरा है। यदि तटीकरण का कार्य पूरा हो जाए तो लोग चैन की नींद सो सकेंगे। इन दिनों बाढ़ के खौफ के चलते लोग अपने घरों में चैन की नींद नहीं सो पा रहे हैं।

बाढ़ से हो चुके हैं कई बड़े हादसे
कुल्लू में इससे पहले नदी-नालों में आई बाढ़ के कारण कई बड़े हादसे हो चुके हैं और कई लोग जान भी गंवा चुके हैं। शाट नाला, शिलागढ़, जगराईं नाला व सैंज के न्यूली क्षेत्र में नालों में आई बाढ़ से पूर्व में काफी नुक्सान हो चुका है। शाट व शिलागढ़ में बाढ़ में कई जानें भी गई हैं। अब बरसात में इन इलाकों में बाढ़ का खौफ फिर से बना हुआ है।  

इन छूटे हुए बिंदुओं को जोडऩा बाकी
ब्यास तटीकरण प्रोजैक्ट की डी.पी.आर. केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के पास पड़ी हुई है। इस प्रोजैक्ट की फाइल में अभी कुछ नालों के नाम दर्ज नहीं हो पाए थे। कई जगह ब्यास और पार्वती नदी सहित अन्य नालों में दोनों ओर पहाड़ हैं और इन पहाड़ों के बीच से नदी बह रही है। इन जगहों पर तटीकरण की आवश्यकता नहीं है। इन बिंदुओं और इनके पूरे दायरे का भी प्रोजैक्ट की फाइल में जिक्र करने को कहा गया है। केंद्रीय जल बोर्ड छूटे हुए इन बिंदुओं पर कार्य करवा कर प्रोजैक्ट की फाइल को आगे भेजेगा।