कोविड-19 के मोर्चे पर जूझ रहे अधिकारियों व कर्मचारियों का वेतन काटना गलत : राणा

Saturday, May 02, 2020 - 05:55 PM (IST)

हमीरपुर : राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि बेशक कोविड-19 महामारी के दौर में सरकार को बजट की सख्त जरूरत है। लेकिन कोविड-19 के मोर्चे पर जूझ रहे पुलिस कर्मियों, मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ का एक दिन का वेतन काटना इस वक्त कतई तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें कुछ पुलिस कर्मियों व मेडिकल स्टाफ ने जानकारी दी है कि सरकार ने कोविड-19 मोर्चे पर एक्टिव इस वर्ग का एक दिन का वेतन काटा है। कटौती की इस कटार के नीचे प्रदेश भर के अधिकारी व कर्मचारियों को भी रखा गया है। 

उन्होंने कहा कि महामारी की भयवयता से इन्कार नहीं है लेकिन प्रदेश में अभी तक कुल 40 कोरोना मरीज घोषित हुए हैं जिनमें से अब 7-8 मरीज ही पॉजीटिव बचे हैं। लेकिन सरकार ने कोरोना को लेकर बड़ी फाइनेंशियल एमरजेंसी की तरह काम करना शुरू कर दिया है। ऐसी आर्थिक एमरजेंसी तो 1962, 1965, 1972 व अघोषित कारगिल युद्ध 1999 के आपात दौर में भी नहीं हुई थी। केन्द्र से कोविड-19 के दौर में भरपूर सहायता मिलने के ऐलान के बावजूद प्रदेश की जनता भी भरपूर सहयोग कर रही है। ऐसे में अब कोविड-19 के बजट व खर्चे की पारदर्शिता पर सवाल उठना लाजमी है। उन्होंने बताया कि उन्हें अनेक अधिकारियों व कर्मचारियों ने जानकारी दी है कि यह कटौती अब लगातार जून 2021 तक जारी रहेगी। 

यह स्थिति तब है जबकि जून 2021 तक का डीए पहले ही फ्रीज कर दिया गया है। इस जबरन कटौती को लेकर अब जब विपक्ष व जनता का सवाल उठाना स्वाभाविक है, तो सम्भावना इस बात की भी है कि मुख्यमंत्री एक बार फिर यह तर्क दें कि विपक्ष ऐसे बात कर रहा है कि मानों दुनिया का सारा ज्ञान उन्हें ही प्राप्त हो। दुनिया की बात तो दीगर है लेकिन सरकारी कटौती का दौर शुरू होने से यह तय है कि लॉकडाउन के दौरान हाल-बेहाल हो चुकी जनता को अब सरकार पूरी तरह निचोडने का मंसूबा बना चुकी है। उन्होंने कहा कि क्योंकि रिलीफ में आए धन का कोई ऑडिट नहीं होता है, ऐसे में सवाल उठना लाजमी है, क्योंकि अब यह मामला शक और संदेह के घेरे में आता जा रहा है? क्योंकि ऐसे पैसे का कोई ऑडिट नहीं होता है तो सरकार को अब इस धन पर पारदर्शिता दिखाते हुए आय और व्यय के ब्यौरे का श्वेत पत्र जारी करना भी जरूरी है।
 

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prashant sharma