संवैधानिक संस्थाओं का चरमराता ढांचा देश व जनता के लिए घातक : राणा

punjabkesari.in Wednesday, Jul 29, 2020 - 04:42 PM (IST)

हमीरपुर : देश और राज्यों में संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की सियासी साजिश भारत के भविष्य के लिए बड़ा खतरा पैदा कर रही है। बीजेपी के राज में राजनीतिक विरोधियों को दुश्मन मानने के शुरू हुए सियासी प्रचलन ने देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था की स्वायत्तता छीनने का प्रयास किया है। यह बात राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं विधायक राजेंद्र राणा ने यहां जारी प्रेस बयान में कही है। उन्होंने कहा कि महामारी के संकट ने जहां आम आदमी की नौकरियां छीन ली हैं। परिवारों की जमा पूंजी आर्थिक संकट ने निगल ली है। महामारी रुकने की बजाय निरंतर फैलती जा रही है। ऐसे में संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करना, देश के साथ बड़ा फरेब है, जनादेश के साथ छल है, और जनता के भरोसे के साथ भी दगाबाजी है। 

उन्होंने कहा कि बीजेपी के राज में जहां सत्ता का दुरुपयोग बढ़ा है, वहीं संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने की सियासी साजिशें लगातार बढ़ी हैं। लगातार कंगाल होते देश के खजाने पर संकट बढ़ रहा है। सरकार रिजर्व बैंक के रिजर्व फंड से लेकर कर्मचारियों के पीएफ के धन को निकाल-निकाल कर खर्च कर रही है। सवाल करने वाले राजनीतिक विरोधियों से सत्ता के दम पर व्यक्तिगत शत्रुओं की तरह व्यवहार किया जा रहा है। संवैधानिक संस्थाएं सरकारों की कठपुतलियां बन कर रह गई हैं। सीबीआई व ईडी जैसी संस्थाओं का प्रयोग न्याय की बजाय राजनीतिक प्रतिद्वंदियों को कुचलने व अन्याय करवाने के लिए किया जा रहा है। जबकि राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों का प्रयोग सत्ता के दबाव में सरकारों को गिराने व बनाने के लिए किया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि सत्ता की हवस में लोकतांत्रिक मुल्यों का लगातार हनन हो रहा है। जिस कारण से अब आम आदमी का भरोसा संवैधानिक संस्थाओं से भी उठने लगा है। कमोवेश यह सियासी साजिश न्यायपालिका पर भी हावी-प्रभावी होती नजर आ रही है। सत्ता के दबाव में संवैधानिक संस्थाओं का निरंतर कमजोर होता ढांचा देश के लोकतंत्र के साथ-साथ देश की जनता के लिए भी घातक साबित हो रहा है। जिससे देश के भविष्य पर भारी खतरा मंडराने लगा है। संवैधानिक संस्थाओं के कमजोर होने व सत्ता की निरंकुशता के बढऩे से आम नागरिक पर संकट बढ़ेगा यह तय है, लेकिन सत्ता के अजब खेल में गजब स्थिति यह है कि सत्ता स्वार्थ के सिवा देश की सरकार को और कुछ दिख ही नहीं रहा है।


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Edited By

prashant sharma

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