यहां डैथ वारंट साबित हो रहा प्रदेश का पहला गौ अभ्यारण्य, अब तक 56 गौवंश की हो चुकी है मौत

Friday, Apr 09, 2021 - 05:23 PM (IST)

ऊना (सुरेन्द्र): प्रदेश का पहला गौ अभ्यारण्य गौवंश के लिए घातक सिद्ध होने लगा है। जिला ऊना के कुटलैहड़ क्षेत्र के तहत थानाकलां के निकट थानाखास में बनाए गए गौ अभ्यारण्य में अब तक ऑन रिकाॅर्ड 56 गौवंश की मौत हो चुकी है। एक तरीके से यह गौ अभ्यारण्य गौवंश के लिए डैथ वारंट साबित हो रहा है। वर्ष 2020 के अगस्त में विधिवत रूप से थानाखास में इस अभ्यारण्य की स्थापना की गई थी। 8 माह में गौवंश की मौत का यह काफी बड़ा आंकड़ा है। लगातार इस गौ अभ्यारण्य में आपसी भिड़ंत के चलते यहां रखे गए गौवंश की मौत हो रही है। वहीं पहाड़ी इस गौवंश के लिए मौत का कुआं साबित हो रही है।

350 कनाल पहाड़ी वाली भूमि पर बना है गौ अभ्यारण्य

प्रदेश सरकार ने हर जिला में गौ अभ्यारण्य खोलने का फैसला लिया है। हालांकि यह निर्णय सड़कों से बेसहारा पशुओं को हटाने तथा उन्हें सहारा देने का सराहनीय कदम है, लेकिन जगह का चयन कहीं न कहीं इस गौवंश के लिए खतरे का सबब साबित हो रहा है। जिला ऊना की बात करें तो पिछले वर्ष तमाम औपचारिकताओं के बाद कुटलैहड़ हलके के थानाखास में यह गौ अभ्यारण्य खोला गया था। करीब 350 कनाल पहाड़ी वाली भूमि पर बाड़बंदी की गई। यहां शैड भी बनाए गए हैं, जिनमें गौवंश के लिए खुर्लियां और चारा रखने के लिए शैड का निर्माण भी किया गया है। गौ अभ्यारण्य की खासियत यह है कि इसके भीतर रखा जाने वाला गौवंश बांधने की बजाय खुला रह सकता है और अपनी मर्जी से वह विचरण कर सकता है।

288 गौवंश रखने की है क्षमता

थानाखास के इस गौ अभ्यारण्य की क्षमता 288 गौवंश रखे जाने की है। कुछ समय पहले यहां 300 गौवंश था और इस समय इसकी संख्या 269 है। अगस्त में शुरूआत के बाद अब तक 56 से अधिक गौवंश की मौत यहां गिरने से हो चुकी है। जब भी विभिन्न स्थानों से लाए गए गौवंश यानी गाय और बैलों को यहां पहुंचाया जाता है तो उनमें काफी द्वंद्व होता है। पहाड़ी से गिरने से ही मौत का इतना बड़ा आंकड़ा पहुंच चुका है।

बाहर से लाए गए चारे पर ही निर्भर है गौवंश

कभी गौवंश के बीच झड़प तो कभी सीधी पहाड़ी से गिरने की वजह से यह गौवंश प्राण त्याग रहा है। इस स्थल पर भले ही जमीन 350 कनाल है, लेकिन पूरा क्षेत्र पहाड़ीयुक्त होने की वजह से घास से मुक्त है। एक ही प्रजाति के यहां पेड़ हैं। काफी तीखी पहाड़ी होने की वजह से पांव फिसलने से भी गौवंश मौत का शिकार हो रहा है। पूरी तरह से तूड़ी और चारे पर निर्भर गौ अभ्यारण्य में रखे गए गौवंश की स्थिति भी कोई ज्यादा बेहतर नहीं है। पूरे क्षेत्र में एक तिनका भी मौजूदा समय में घास का नहीं है। दिक्कत यह है कि यह क्षेत्र सपडऩुमा पहाड़ है, जिस पर घास ज्यादा नहीं होती है। केवल बाहर लाए गए चारे के आधार पर ही यह गौवंश निर्भर है।

खर्चा 4 लाख तो सरकार दे रही 1.35 लाख रुपए

प्रदेश सरकार गौ अभ्यारण्य में प्रत्येक गौवंश के लिए 500 रुपए की राशि प्रदान करती है। गणना के हिसाब से लगभग 1 लाख 35 हजार रुपए की राशि प्रतिमाह प्रदेश सरकार की तरफ से आ रही है, जबकि यह खर्चा साढ़े 3 लाख से 4 लाख के करीब है। पशुपालन विभाग लगातार यहां गौवंश की देखभाल कर रहा है। इसके लिए 5 कर्मचारी तैनात किए गए हैं।

गौवंश की सही ढंग से की जा रही देखभाल

पशुपालन विभाग बंगाणा के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डाॅ. सतिन्द्र तथा थानाकलां के अभिनव सोनी का कहना है कि थानाखास के इस गौ अभ्यारण्य में रखे गए गौवंश की सही ढंग से देखभाल की जा रही है। उन्होंने माना कि गिरने से 56 गौवंश की मौत हुई है। पूरे गौ अभ्यारण्य में चारे के साथ-साथ पीने के पानी के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं। इसके लिए 5 कर्मचारी दिन-रात यहां सेवा में जुटे हैं। इस समय यहां 269 गौवंश रखा गया है। पंजाब के मोगा से तूड़ी के ट्रक लाए जा रहे हैं। इसके लिए वहां समाजसेवा में जुटे बाबाजी की तरफ से तूड़ी भेजी जाती है। केवल इसे लाने का खर्चा वहन किया जाता है। इसके अतिरिक्त साइलेज और हरे चारे की व्यवस्था अलग से की जाती है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रेरित किया जाता है कि वह जन्मदिन से लेकर दूसरे आयोजनों के लिए यहां आएं और फीड के साथ-साथ गुड़ एवं नमक दान दे ताकि गौवंश की सेवा हो सके। लोगों का सहयोग भी गौ अभ्यारण्य का संचालन करने के लिए लिया जा रहा है।

पूरे क्षेत्र को किया जाएगा हरा-भरा

डाॅ. सतिन्द्र ने बताया कि गौ अभ्यारण्य में वन विभाग की सहायता से ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जो सदाबहार हरे रहें और ये चारे की जरूरतों को भी पूरा करें। इसमें राजस्थान से खेजड़ी, नौरिंगा व मक्खन घास जैसी प्रजातियां लाई जाएंगी। चैकडैम लगाए जाएंगे और पूरे क्षेत्र को हरा-भरा किया जाएगा। पूरा विभाग सहयोग कर रहा है और सफल तरीके से गौ अभ्यारण्य का संचालन किया जा रहा है।
 

Content Writer

Vijay