आसान नहीं है देश की महत्वपूर्ण Tunnel का निर्माण, BRO झेल रहा यह परेशानी

Tuesday, Feb 28, 2017 - 09:26 PM (IST)

मनाली: पाकिस्तान व चीन सीमा पर बैठे देश के प्रहरियों तक आसानी से रसद पहुंचाने और लाहौल को 12 महीने कुल्लू से जोडऩे के लिए बनाई जा रही रोहतांग टनल का निर्माण इतना आसान नहीं। इस वर्ष जनवरी-फरवरी में बर्फबारी अधिक होने के चलते अब तक रोहतांग सुरंग का साऊथ पोर्टल 145 बार एवलांच की मार झेल चुका है। बी.आर.ओ. रोहतांग सुरंग परियोजना के चीफ  इंजीनियर ब्रिगेडियर डी.एन. भट्ट ने बताया कि भौगोलिक विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बी.आर.ओ. अपनी मंजिल की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि रोहतांग टनल निर्माण में एक बार फिर लूज रॉक मैटीरियल आने से गति धीमी हुई है। 

वर्ष 2016 में बनाया खुदाई कार्य का रिकार्ड 
डी.एन. भट्ट ने बताया कि बी.आर.ओ. ने रोहतांग सुरंग निर्माण में जुटी स्ट्राबेग-एफकान कम्पनी और डिजाइनिंग में बेहतरीन भूमिका निभा रही स्मैक कम्पनी के साथ मिलकर वर्ष 2016 में सबसे अधिक प्रोग्रैस दी है। वर्ष 2016 में बी.आर.ओ. ने 2249 मीटर खुदाई का कार्य कर रिकार्ड भी बनाया है लेकिन जनवरी और फरवरी में एक ओर जहां भारी बर्फबारी का सामना करना पड़ा है, वहीं दूसरी ओर लूज रॉक मैटीरियल ने बी.आर.ओ. की दिक्कतों को बढ़ाया है। बी.आर.ओ. की मंजिल मात्र 1130 मीटर शेष रह गई है। 

टनल के ऊपर 1100 मीटर का ओवर वर्डन 
डी.एन. भट्ट ने बताया कि जनवरी-फरवरी की तरह मार्च में भी लूज रॉक मैटीरियल की दिक्कत ऐसी ही रही तो सुरंग के दोनों छोर सितम्बर तक जोड़े जा सकेंगे जबकि हालात सुधरने की सूरत में जुलाई महीने में ही टनल के दोनों छोर जोडऩे का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि लाहौल की ओर नॉर्थ पोर्टल में सर्दियों के चलते टनल का निर्माण कार्य दिसम्बर से 15 मई तक बंद है जबकि मनाली की ओर साऊथ पोर्टल में कार्य लगातार जारी है। उन्होंने कहा कि इस समय खुदाई कार्य तनाव में चल रहा है क्योंकि इस समय टनल के ऊपर 1100 मीटर का ओवर वर्डन है। 

विपरीत परिस्थितियों के बावजूद काम जारी 
जनवरी-फरवरी में हुई बर्फबारी से बी.आर.ओ. को सोलंग से धुंधी के बीच 145 एवलांचों का सामना करना पड़ा है। हालांकि सतर्कता के चलते कोई नुक्सान नहीं हुआ है लेकिन दिन को हर समय एवलांच का भय सता रहा है। एवलांच के खतरे को देखते हुए सुबह 8 से शाम साढ़े 5 बजे तक सोलंग से धुंधी तक मार्ग को बंद रखा जा रहा है जिस कारण टनल से निकलने वाले मक को धुंधी में ही रखना पड़ रहा है। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद टनल निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चला हुआ है और मंजिल तक पहुंचने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।