खांसी, सर्दी, जुकाम में नीम-हकीम का ईलाज पड़ रहा भारी, सक्रियता दर 32 प्रतिशत पहुंची
punjabkesari.in Wednesday, May 12, 2021 - 12:22 PM (IST)
धर्मशाला (तनुज) : कोरोना की दूसरी लहर के बीच प्रदेश में हॉट स्पॉट बनने वाले सूबे के सबसे बड़े जिला में लोगों की लापरवाही ही भारी पड़ रही है। कोविड-19 की बीमारी के लक्षणों को नजरअंदाज करते हुए नीम-हकीमों की चैखटों पर ईलाज को पहुंच रहे लोगों को इसकी भारी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन के बार-बार जागरूक करने के बावजूद लोग अस्पतालों में अपने टेस्ट करवाने से बचने के चक्कर में स्वयं के साथ-साथ अपने परिवार व समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं। जिला कांगड़ा में मई माह के शुरूआती 10 दिनों में ही प्रतिदिन एक हजार से अधिक मामले सामने आने के बावजूद भी लोग सावधानियां व एहतियात बरतने की बजाय अपने स्वास्थ्य के प्रति ढील बरत रहे हैं।
जिला कांगड़ा में मार्च माह में कोरोना मरीजों की सक्रियता दर 4 प्रतिशत के करीब थी। लेकिन मई माह में अभी तक यह दर बढ़कर 32 प्रतिशत पहुंच गई है। यही कारण है कि अब जिला कांगड़ा में एक्टिव मामलों का आंकड़ा ही 10 हजार की संख्या को पार कर चुका है। इतना ही नहीं मृत्यु के आंकड़ों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अप्रैल महीने में 149 मौतें जिला कांगड़ा में हुई थी, लेकिन मई माह के 10 दिनों का आंकड़ा ही 138 पहुंच गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कांगड़ा डाॅ. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि इन आंकड़ों के बढ़ने की वजह का आंकलन करते हुए यह पाया गया है कि बहुत से लोग कोरोना के लक्षण बुखार, खांसी, जुकाम, सरदर्द और सांस लेने में दिक्कत इत्यादि होने को नजरअंदाज करते हुए नीम-हकीमों से परामर्श लेते हैं अथवा दवाई की दुकान से दवाई ले लेेते हैं। इसके उपरान्त तबीयत बिगडऩे पर यह लोग अस्पताल आते हैं, जिसकी वजह से बिगड़ी हुई बिमारी वाले लोगो को बचाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे इन लक्षणों को न छुपायें और अस्पताल जाकर परामर्श लें तथा समय पर टेस्ट करवाएं।
निजी अस्पताल-मेडिकल स्टोर संचालक मरीजों की दें जानकारी
जिला में बढ़ते कोरोना मरीजों के आंकड़े तथा लोगों द्वारा निजी अस्पताल, क्लीनिक व मेडिकल स्टोर पर ली जा रही दवाईयों के बाद जिला प्रशासन ने भी सख्त निर्देश उक्त संस्थानों को जारी किए हैं। इन संस्थानों को कोरोना लक्षण वाले मरीजों को दवाईयां न देकर उनकी सूचना सरकारी अस्पताल में दें। साथ ही ऐसे लक्षणों वाले मरीजों को टेस्ट करवाने के लिए भी प्रेरित करें। इन निर्देशों का पालन न करने वाले संस्थानों तथा सबंधित व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।
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