कोटरोपी हादसा : देवता ने 2 सप्ताह पहले की थी अनहोनी की भविष्यवाणी

Monday, Aug 14, 2017 - 12:50 AM (IST)

मंडी: मंडी जिला के कोटरोपी में हुए हादसे के बाद स्थानीय लोगों मोहर सिंह, लौंगू राम, फुलीराम व पाहणी राम ने बताया कि इसी माह वर्ष 1977 में व 1997 में भी इसी स्थान पर पहाड़ी दरक चुकी है। मोहर सिंह का कहना है कि वर्ष 1997 में 13 अगस्त सुबह 8 बजे यहां पहाड़ी दरकी और एक पुल भी उसकी चपेट में आ गया था और ठीक उसी प्रकार 12 अगस्त की रात 20 वर्षों बाद फिर से यहां पर पहाड़ी दरकी जबकि 1977 में भी ऐसी ही घटना के बारे में उन्होंने अपने पूर्वजों से सुना था। ग्रामीणों का कहना है कि इस बाद नड़ उत्सव के दौरान काहिका में देवता ने भविष्यवाणी द्वारा अनहोनी को लेकर चेताया था और गांव वाले 7 परिवारों को घर खाली करने को कहा था और परिवार के सदस्य मकान खाली भी करने लग गए थे लेकिन शनिवार की रात उनके लिए कयामत की रात साबित हुई और उनका सब कुछ काल ले उड़ा।   

पहाड़ी ने बचाया भड़वाहण गांव
इस हादसे में जहां कोटरोपी गांव पूरी तरह से जमींदोज हो गया, वहीं एक छोटी सी पहाड़ी ने भड़वाहण गांव के एक दर्जन घरों को और धान के एक बड़े रकबे को मलबे के नीचे दफन होने से बचा लिया। अगर इस गांव के ठीक ऊपर एक छोटी दीवारनुमा पहाड़ी न होती तो यह पूरा मलबा गांव को तबाह कर देता और दर्जनों लोगों व मवेशियों को काल का ग्रास बना देता। स्थानीय निवासी खेम सिंह ने बताया कि शनिवार रात सवा ग्यारह बजे भड़वाहण गांव के पास नाले में भारी धमाका हुआ जिसके कारण गांव में बिजली की आपूर्ति ठप्प हो गई, जिससे डरे सहमे लोग पास के जंगल की ओर भागे और रात वहीं गुजारी।

ये परिवार हुए बेघर     
कोटरोपी गांव में कु दरत के कहर ने चौबेराम, जय चंद, भोलाराम व सीता राम के परिवार को बेघर कर दिया है। स्थानीय निवासी चौबेराम का कहना है कि चारों भाइयों ने यहां करीब 20 बीघा जमीन एक मुसलमान परिवार से दो दशक पहले खरीदी थी जिस पर उन्होंने अलग-अलग 5 मकान व इतनी ही गऊशालाएं बनाई थीं। पिछले कुछ दिनों से गांव के पीछे जमीन में दरार आ गई थी जिसके चलते उन्होंने यहां से शिफ्ट करने का इरादा बना लिया था लेकिन उनकी मांग के बावजूद न तो प्रशासन ने जमीन में आई दरारों का संज्ञान लिया और न ही स्थानीय विधायक एवं प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री कौल सिंह ने उनकी फरियाद सुनी। 

बच्चों के साथ जंगल में बिताई रात 
गांव की महिला विद्या देवी, भाद्री देवी, भैंसुरी देवी व बिमला देवी का कहना है कि उनका सब कुछ कुदरत के इस कहर में तबाह हो गया है। उन्होंने छोटे-छोटे बच्चों के साथ पास के जंगल में रात बारिश के बीच खुले आसमान के नीचे बिताई। इसके अलावा दूसरी तरफ सड़क के नीचे लोअर कोटरोपी में भी कु छ ग्रामीणों की 7 दुकानें व आधा दर्जन वाहन मलबे की चपेट में आ गए जबकी एक अन्य रिहायशी मकान को भी भारी क्षति पहुंची है।