कोरोना ने प्राथमिक स्तर की शिक्षा पर डाला अधिक असर

punjabkesari.in Tuesday, Aug 31, 2021 - 11:03 AM (IST)

धर्मशाला (नवीन) : कोरोना काल में प्राथमिक स्तर की शिक्षा पर सबसे बुरा असर नजर आने लगा है। जिस प्री-प्राइमरी और प्राइमरी स्तर पर विद्यार्थी स्कूली माहौल में शिक्षक की अंगुली पकड़कर बुनियादी शिक्षा हासिल करते हैं, वह पिछले काफी समय से बंद हैं। स्कूल में प्रार्थना सभा की अहम भूमिका होती है। ऐसे में काफी लम्बे समय से बंद पड़े स्कूलों के चलते बच्चे प्रार्थना सभा के साथ अपनी पढ़ाई को भूलने लगे हैं। प्राइवेट स्कूलों में अभिभावक और शिक्षक जैसे-तैसे कुछ नन्हे विद्यार्थियों को पढ़ाई से जोड़े हुए हैं, मगर सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी पिछड़ रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से ऑनलाइन पढ़ाई का दावा तो किया जा रहा है लेकिन छोटे विद्यार्थियों के मामले में शिक्षाविद् उसे खुद भी कारगर नहीं मान रहा है। शिक्षा विभाग की मानें तो कई जगह ऑनलाइन शिक्षा में दिक्कते आ रही हैं, कई विद्यार्थियों के पास मोबाइल भी नहीं हैं, वहां पर स्टडी मटीरियल बच्चों तक पहुंचाया जा रहा है जिस कारण शिक्षा विभाग बच्चों को शिक्षा के साथ जोड़े हुए है। 

बच्चों पर बढ़ रहा है अगली कक्षाओं का दबाव

स्कूल खोलने पर शिक्षाविदों की एक राय नहीं है। कई शिक्षाविद स्कूल खोलने के पक्ष में नहीं हैं तो कई शिक्षाविद स्कूल खोलने के पक्ष में है। शिक्षाविदों का कहना है कि अभी स्कूलों को खोलना तो उचित नहीं है। स्टूडेंट की पढ़ाई का नुकसान भी नहीं होने दिया जा सकता। स्कूल बंद होने का दोहरा नुकसान है। फौरी तौर पर छात्र पढ़ाई से दूर हो गए हैं। बच्चे अगली कक्षाओं में पदोन्नत भी किए जा रहे हैं। उन पर बड़ी कक्षाओं का दबाव बढ़ रहा है।

शिक्षकों के लिए भी चुनौती से कम नहीं है ऑनलाइन शिक्षा

ऑनलाइन शिक्षा देना शिक्षकों के लिए भी चुनौती से कम नहीं है। नेटवर्क की प्राॅब्लम सहित अन्य कई समस्याएं पेश आ रही हैं। एक ही क्लास में जानकारी के अलग-अलग स्तर वाले बच्चों को लेकर आगे बढ़ना शिक्षकों के लिए बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। लगातार ऑनलाइन पढ़ाई के कारण बच्चे अब उब गए हैं। शिक्षक और अभिभावकों को बच्चों को मिलकर पढ़ाना चाहिए।

ऑनलाइन पढ़ाई ने अभिभावकों को किया व्यस्त

कोरोना संक्रमण की वजह से ऑनलाइन पढ़ाई ने अभिभावकों को व्यस्त कर दिया है। स्कूलों के शिक्षक सुबह 9 बजे से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई कराते हैं। 30 मिनट के अंतराल पर विषयों को बदला जाता है। इस दौरान पढ़ाई कराने के लिए अभिभावक भी साथ में रहते हैं। बच्चों को शिक्षक की कक्षा से जोड़ने से लेकर होमवर्क लेने तक अभिभावक व्यस्त रहते हैं। इसके अलावा कई निजी स्कूल बच्चों को हुनरमंद टास्क देते हैं, जिसे पूरा करने के लिए कई अभिभावक मेहनत करते हैं तो कुछ अभिभावक इसे नजरअंदाज कर देते हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव देखने को मिल रहे हैं।

ऑनलाइन पढ़ाई ज्यादा प्रभावी नहीं

बच्चे स्कूल में शिक्षकों और साथी छात्रों के साथ काफी सीख लेता था। ऑनलाइन पढ़ाई ज्यादा प्रभावी नहीं है। स्कूल से शिक्षक व्हाट्सएप पर काम भेजते तो हैं लेकिन उसका प्रभाव ज्यादा नहीं है। कुछ अभिभावकों ने तो ऑनलाइन पढ़ाई को बंद करवाकर घर में बच्चों का ट्यूशन लगवा दी है। अभिभावकों का कहना है कि ऑनलाइन बैठक एक आम इंसान की समझ में ही बड़ी मुश्किल से आती है तो फिर छोटे-छोटे बच्चे कैसे पढ़ाई कर लेंगे। तकनीकी रूप से चल रही पढ़ाई बच्चे के दिमाग में नहीं बैठ रही थी। ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति हो रही है। प्राथमिक शिक्षा कांगड़ा उपनिदेशक मोहिंद्र कुमार का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। उन्हें होमवर्क दिया जा रहा है। जहां-जहां पर नेटवर्क सहित अन्य दिक्कतें पेश आ रही हैं, वहां पर स्टडी सामग्री पहुंचाई जा रही है। 


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Content Writer

prashant sharma

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