सरकार से आरपार की लड़ाई के मूड में ठेकेदार, करसोग में गठित की कार्यकारिणी

punjabkesari.in Tuesday, Feb 08, 2022 - 08:00 PM (IST)

करसोग (धर्मवीर गौतम): करसोग में एम और एक्स फॉर्म की जटिलताओं से परेशान ठेकेदार कई अन्य मांगों को लेकर भी सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ने के मूड में है। इसके लिए हड़ताल में बैठे ठेकेदारों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए  कार्यकारिणी का गठन किया है जो कई अन्य मांगों को लेकर भी सरकार से अपनी लड़ाई लड़ेगी। यहां बरल में स्थित लोक निर्माण विभाग के रैस्टहाऊस में मंगलवार को ठेकेदारों ने कार्यकारणी का गठन किया। जिसमें नरेंद्र भारद्वाज को सर्वसम्मति से करसोग ठेकेदार यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया। इसके अतिरिक्त चमन खाची, तरुण ठाकुर,व जितेंद्र कुमार को उपाध्यक्ष, ओमप्रकाश व तोमल कुमार महासचिव ,  घनश्याम शर्मा को कोषाध्यक्ष, ठाकुर सैन को मुख्य प्रवक्ता सहित चेतन शर्मा व खेमराज को मीडिया प्रभारी का जिम्मा सौंपा गया है। 

इस मौके पर नवगठित कार्यकारिणी ने एम और एक्स फॉर्म को लेकर पेश आ रही परेशानियों के बारे में सरकार तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए एसडीएम के माध्यम से एक  ज्ञापन भी सौंपा। जिसमें ठेकेदार  यूनियन ने जीएसटी इनपुट को लेकर भी समस्या का समाधान किए जाने की मांग रखी है। यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि ठेकेदारों को जुलाई 2017 से पहले जो काम आवार्ड हुए थे, लेकिन ये कार्य बाद में शुरू हुए। इस पर भी ठेकेदारों से जीएसटी काटा गया जोकि नहीं कटना चाहिए था। इस तरह सरकार की गलत नितियों का खामियाजा ठेकेदारों को भुगतना पड़ रहा है, ऐसे में सरकार जीएसटी इनपुट को भी जल्द रिलीज करे। इसके साथ यूनियन ने चेतावनी दी है कि समस्या का लिखित में समाधान न होने तक हड़ताल जारी रहेगी। हालांकि इस दौरान प्रोजैक्टों में कार्य कर रहे मजदूरों को दिहाड़ी मिलती रहेगी।

इससे पूर्व 7 फरवरी को नाराज ठेकेदार लोक निर्माण विभाग की टैंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं हुए। इसके अतिरिक्त हड़ताल पर बैठे ठेकेदारों ने बर्फ हटाने में लगी जेसीबी को सड़कों के किनारे खड़ी कर दिया है। यही नहीं, सड़कों सहित अस्पताल, मिनी सचिवालय, सरकारी आवासों की मरम्मत, डंगों और नालियों के निर्माण के सभी  कार्य बंद कर दिए हैं। जिससे अब आम जनता की भी परेशानी बढ़ने वाली है। ठेकेदारों ने सरकार के सामने माइनिंग के नियमों में संशोधन कर सरलीकरण करने की भी  मांग रखी है । ठेकेदारों का कहना है कि नियम सख्त होने की वजह से क्रशर से रोड़ी, रेत-बजरी नहीं मिल रही है, जिस कारण विकास कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं। 

हिमाचल ठेकेदार एसोसिएशन के सदस्य चेतन शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री से इस मामले पर कई बार वार्ता हो चुकी है।लेकिन सिवाए आश्वासन के कुछ नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि  जुलाई, 2017 से पहले के आवार्ड हुए कार्यों पर काटे गए जीएसटी को  भी रिलीज करे। 2 बार जीएसटी देने पर ठेकेदारों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अब भी मांगे नहीं मानी गई तो हड़ताल आगे भी जारी रहेगी।

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Content Writer

Vijay

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