अनुबंध में आने को तरस गए ITI के कर्मचारी, पॉलिसी में रखी गई थी ये शर्त

Saturday, Aug 11, 2018 - 11:34 AM (IST)

शिमला (देवेंद्र हेटा): हिमाचल के विभिन्न औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आई.टी.आई.) में सालों से सेवाएं दे रहे ट्रेनर सरकारी अनुबंध में आने को तरस गए हैं। इंस्टीच्यूट मैनेजमैंट कमेटी (आई.एम.सी.) और स्टूडैंट वैल्फेयर फंड (एस.डब्ल्यू.एफ.) के तहत भर्ती कुछ ट्रेनरों को सेवाएं देते हुए 8 से 10 साल बीत गए हैं। फिर भी तकनीकी शिक्षा महकमा इन्हें रेगुलर नहीं कर रहा जबकि हाईकोर्ट के आदेशों पर बनाई गई पॉलिसी के तहत 9600 घंटे की सेवाएं या फिर 7 साल पूरा कर चुके आई.एम.सी. व एस.डब्ल्यू.एफ. कर्मियों को सरकारी अनुबंध में लाने का प्रावधान है। पॉलिसी के प्रावधान के बावजूद इन्हें सरकारी अनुबंध में नहीं लाया जा रहा है। 

आई.एम.सी. व एस.डब्ल्यू.एफ. के तहतवर्षो से आई.टी.आई. में सेवाएं दे रहे ट्रेनर व अन्य कर्मचारी कई बार विभाग से उन्हें रैगुलर करने की मांग कर चुके हैं लेकिन विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने 31 जुलाई, 2015 को आई.एम.सी. व एस.डब्ल्यू.एफ. के तहत काम कर रहे ट्रेनरों, क्लर्क व चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को सरकारी अनुबंध में लाने के लिए पॉलिसी बनाई थी। इसमें शर्त लगाई गई कि जो भी कर्मचारी 9600 घंटे की सेवाएं या फिर 7 साल के सेवाकाल की शर्त को पूरा करेगा, उसे सरकारी अनुबंध में लाया जाएगा। पॉलिसी में यह भी शर्त लगाई गई कि जो ट्रेन 3 अक्तूबर, 2015 से पहले के लगे हुए हैं, उन्हें ही सरकारी अनुबंध में लाया जाएगा। 

Ekta