भरमौर विद्युत विभाग में खाली पदों का खामियाजा भुगत रहे उपभोक्ता

Friday, Mar 01, 2019 - 01:34 PM (IST)

भरमौर (उत्तम): भरमौर जनजातीय उपमंडल मेें बिजली विभाग के खाली चल रहे पदों के कारण 7 व 8 फरवरी को हुए भारी हिमपात के बाद आज तक भरमौर के कई क्षेत्र बिजली व्यवस्था से महरूम हैं। भरमौर मुख्यालय व इसकी आसपास की पंचायतों में भी बिजली व्यवस्था बहाल करने में अगर स्थानीय लोग सहयोग नहीं करते तो ये ग्रामीण इलाके अभी तक अंधेरे में होते। अभी भी उपमंडल की न्याग्रां, बजोल, कुवारसी, बडग्रां व तुंदाह में बिजली नहीं है। उपमंडल से सटी कुछ पंचायतों के गांव अभी भी अंधेरे में हैं। 

वर्तमान समय में बिजली विभाग के भरमौर उपमंडल के कुल पांच सैक्शनों में 105 पद खाली पड़े हुए हैं जबकि कुल स्वीकृत पद 150 हैं यानी कुल 45 पद ही भरे हुए हैं जिससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यवस्था बहाल करने में विभाग को कितनी परेशानी हुई होगी। हर साल सर्दियां आते ही बिजली विभाग के कम स्टाफ का खमियाजा यहां के हजारों उपभोक्ताओं को उठाना पड़ता है। इतने वर्षों में मात्र गत वर्ष ही 7 पद भरे गए हैं मगर इतने ही सेवानिवृत्त हो गए हैं। वर्तमान समय में नियुक्त कम स्टाफ को ही जैसे-तैसे काम चलाना पड़ता है। वीरवार को एक फोरमैन और सेवानिवृत्त हो गया है और अब कुल 44 पद ही भरे रह गए हैं।

स्वीकृत 150 तकनीकी स्टाफ में से 105 पद खाली पड़े

वर्तमान समय में भरमौर बिजली विभाग के 11 के.वी., 33 के.वी. के अतिरिक्त एच.टी. तथा एल.टी. लाइनों के रखरखाव के लिए कुल 154 ट्रांसफार्मरों के माध्यम से यहां की 29 ग्राम पंचायतों तक बिजली पहुंचाने के लिए स्वीकृत 150 तकनीकी स्टाफ में से 105 पद खाली पड़े हैं। मात्र 45 कर्मचारी के साथ यहां की व्यवस्था निर्भर है जो यहां की भौगोलिक परिस्थिति के बिल्कुल विपरीत है। भरमौर प्रथम सैक्शन में 28 पद स्वीकृत हैं जबकि इस सैक्शन में मात्र 7 ही कर्मचारी हैं तथा 21 पद खाली हैं। भरमौर के दूसरे सैक्शन में स्वीकृत 27 पदों में 6 भरे हैं व 21 खाली हैं, लाहल सैक्शन में कुल 25 पदों में से 7 भरे हैं जबकि 18 खाली हैं। गरोला सैक्शन में कुल 34 स्वीकृत पदों में से 11 भरे हैं जबकि 23 पद खाली हैं। होली सैक्शन में कुल 36 स्वीकृत पदों में से 14 भरे हैं और 22 पद खाली हैं। इसके साथ कार्यालय में भी स्टाफ की कमी है। वर्तमान समय में भी स्थिति यह है कि कई सैक्शनों में बिजली के बिल पिछले 4 महीनों से लोगों को नहीं मिल पाए हैं जिससे गरीब परिवारों को इकट्ठा बिल अदा करने में परेशानी पैदा होगी मगर न तो बोर्ड का और न ही सरकार का ऐसे पिछड़े क्षेत्रों की ओर कोई ध्यान है।

Ekta