भावी पीढ़ी के लोकतांत्रिक अधिकार को छीनने की साजिश : अभिषेक

punjabkesari.in Friday, Jul 10, 2020 - 12:47 PM (IST)

शिमला : प्रदेश कांग्रेस सोशल मीडिया सेल के चेयरमैन अभिषेक राणा ने अब देश में शिक्षा के साथ हो रही साजिश का गंभीर खुलासा किया है। उन्होंने कहा है कि अब देश में राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए भावी पीढ़ी के लोकतांत्रिक अधिकार को छीनने का सुनियोजित षडयंत्र शुरू किया गया है। सीबीएसई सिलेबस की कुछ कक्षाओं की किताबों से धर्म निरपेक्षता, राष्ट्रवाद जैसे कई अहम सब्जेक्ट को मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। इससे समझ में आता है कि 30 फीसदी पाठ्यक्रम कटौती के नाम पर प्रचंड बहुमत से जीती बीजेपी सरकार भारत की भावी पीढ़ी को इन अहम विषयों को ज्ञान से महरूम रखना चाहती है, ताकि भावी पीढ़ी स्वार्थ की राजनीति पर सवाल ही न उठा सके।

उन्होंने कहा कि अगर पाठ्यक्रम में 30 फीसदी कटौती की ही बात थी तो इन पाठ्यक्रमों से आंशिक तौर पर गैर जरूरी विषयों को कुछ स्तर तक हटाया जा सकता था, लेकिन सरकार की सरपरस्ती में सीबीएसई ने तो छात्रों का लोकतांत्रिक अधिकार ही छीन लिया है, जिसमें अब लोकतांत्रिक अधिकार का चैप्टर धर्मनिरपेक्षता, जाति-धर्म का पाठ छात्र पढ़ ही नहीं पाएंगे। जिस कारण से देश की भावी पीढ़ी के समग्र मौलिक विकास पर खतरा मंडराने लगा है। सीबीएसई पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण कक्षाओं में संघीय ढांचा, राज्य सरकार नागरिकता, राष्ट्रवाद और धर्मनिरपेक्षता जैसे अहम ज्ञान के विषयों पर इसका असर दिखेगा। हालांकि शिक्षा के प्रति हो रही इस साजिश को अंजाम देने के लिए अभी तक 1 वर्ष के लिए इस सिलेबस को हटाने की बात कही गई है।  

उन्होंने कहा कि सीबीएसई बोर्ड के मुताबिक एक अहम कक्षा के सामाजिक विज्ञान की किताब से 5 चैप्टरों में से 1 लोकतांत्रिक अधिकार को पूरी तरह हटा दिया गया है। वहीं एक अन्य कक्षा की किताबों से किसान, जमींदार, राज्य बंटवारे, विभाजन और देश द्रोह पर सेक्शन-द बाँबे डेकन और द डेकन राईट कमिश्नर जो साहुकारों के खिलाफ किसानों के आंदोलन पर आधारित है। इन सभी विषयों को भी हटा दिया गया है। कार्यस्थल पर भारतीय संविधान के तहत आने वाले फेडरलिज्म जैसे टॉपिक स्थानीय सरकारों की जरूरत, भारत में स्थानीय सरकार की ग्रोथ जैसे चैप्टर, पॉलिटिक्ल साईंस सब्जेक्ट से हटाया गए हैं। इसी तरह प्लस टू के छात्रों को अब मौजूदा वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था का बदलता स्वरूप, नीति आयोग, जीएसटी जैसे विषय भी नहीं पढ़ाए जाएंगे। हटाया गया पाठ्यक्रम बोर्ड की परिक्षाओं और अतिरिक्त मुल्यांकन के लिए निर्धारित विषयों का हिस्सा नहीं होगा। कुल मिलाकर 30 फीसदी कटौती के नाम पर भविष्य में भावी पीढ़ी के खिलाफ एक बड़ी साजिश रची गई है।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

prashant sharma

Recommended News

Related News