कांग्रेस ने राज्य सरकार की संशोधित पावर पॉलिसी पर किया जुबानी हमला

Friday, Sep 07, 2018 - 04:43 PM (IST)

शिमला : कांग्रेस द्वारा विधानसभा में ‘हाइड्रो माफिया’ बोले जाने पर हिमाचल प्रदेश स्मॉल हाइड्रो पावर डिवेलपर  एसोसिएशन ने कड़ा ऐतराज जताया है। शिमला में आयोजित एसोशिएशन की प्रैस वार्ता में अध्यक्ष राजेश शर्मा ने कहा कि जानकारी के अभाव में कांग्रेस ने राज्य सरकार की संशोधित पावर पॉलिसी पर हमला किया है, जबकि अपफ्रंट मनी समेत रॉयल्टी को डैफर करने का काम पिछली कांग्रेस सरकार से चला आ रहा था ताकि इस सैक्टर में निवेशक आ सके। बता दें कि विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस ने ऊर्जा निती में दी गई रियायतों को लेकर वॉकआउट किया था।

इस दौरान विपक्ष ने सत्तापक्ष पर हाइड्रो माफिया के दबाव में काम करने का आरोप लगाया था। राजेश शर्मा ने कहा कि मौजूदा सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक छोटे प्रोजैक्ट पर रॉयल्टी खत्म नहीं की गई है, बल्कि डैफर की गई है। यानि प्रोजैक्ट लगने के शुरुआती 12 सालों तक पावर डिवेल्पर से रॉयल्टी नहीं ली जाएगी। 13वें साल से पावर डिवेल्पर को 22 फीसदी तथा 30वें साल से 34 फीसदी रॉयल्टी देनी होगी। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने ही अपफ्रंट प्रिमियम मनी 35 लाख से घटाकर एक लाख रुपए किया गया। ऐसे में कांग्रेस द्वारा इस क्षेत्र के निवेशकों को माफिया बोलना सही नहीं है।

उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व में प्रदेश सरकार ने छोटे पावर प्रोजैक्ट को दुधारू गाय समझकर ऐसी-ऐसी शर्तें लगाई, जिससे निवेशक यहां से भागने लगे। इस वजह से हिमाचल को राजस्व के रूप में 8000 करोड़ से भी ज्यादा का नुक्सान हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रोजैक्टों पर कई तरह की शर्तें थोपने के कारण साल 2013-14 में 400 मैगावाट विद्युत दोहन का लक्ष्य रखा गया और उस दौरान 171 मेगावाट ऊर्जा का दोहन किया जा सका।

इसी तरह साल 2014-15 में 400 मेगावाट की तुलना में 22.50 मेगावाट, साल 2015-16 में 500 मेगवाट की तुलना में 43 मेगावाट, साल 2016-17 में 400 मेगावाट की तुलना में 16 मेगावाट और साल 2017-18 में 500 मेगावाट के लक्ष्य में से केवल 28.60 मेगावट बिजली का उत्पादन किया जा सका। इस वजह से राज्य को कई करोड़ों की हानि हुई है। उन्होंने कहा कि नई ऊर्जा निती से छोटे पावर प्रोड्यूसर खुश है। हालांकि वें चाहते है कि शुरुआती 12 साल की रॉयल्टी डैफर करने के बजाय खत्म की जाए।

kirti