एक-दूसरे के नीचे से कुर्सी खिंचने का खेल बीजेपी में जारी: राजेंद्र राणा

Monday, Jan 27, 2020 - 04:11 PM (IST)

हमीरपुर: कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कहा है कि अगर 44 विधायक और 4 सांसद देने के बावजूद अगर प्रदेश विकास को चीख रहा है तो यह न केवल जनादेश का अपमान है बल्कि वर्तमान कालखंड में घटित हो रहे राजनीतिक घटनाक्रम का दुर्भाग्य माना जाएगा। जनादेश हासिल करने के लिए बीजेपी ने विकास के जिस डबल इंजन के शगुफे से प्रदेश की जनभावनाओं को ठगा था। वह डबल इंजन जमीन पर तो क्या आसमान पर भी नहीं दिख रहा है। डबल इंजन की बातें अब हवा-हवाई हो चुकी हैं। राणा ने कहा कि हर प्रदेश के चुनाव में बीजेपी छल, फरेब, झूठ, प्रपंच के इन्हीं जुमलों व शगुफों को दोहरा कर जनादेश हासिल करती रही है। अब दिल्ली में यही बीजेपी ट्रिपल इंजन के शगुफों व जुमलों को दोहरा रही है।

दिल्ली में कहा जा रहा है कि केन्द्र में बीजेपी है। एमसीडी पर बीजेपी का कब्जा है। बस अब दिल्ली विधानसभा के लिए जनता जनादेश दे तो दिल्ली में ट्रिपल इंजन की सरकार विकास करवाएगी लेकिन हैरानी यह है कि जिन प्रदेशों मसलन हरियाणा, हिमाचल में इनके डबल इंजन के छलावे में आकर जनता ने जनादेश दिया, वहां सैंड व लैंड माफिया का बोलबाला है। आम आदमी छोटे-छोटे विकास कार्यों को तरस रहा है और सरकार कभी किसी जश्न में तो कभी किसी जश्न में लगी हुई है। राणा बोले की हैरानी यह है कि जिस प्रदेश की जनता ने 44 विधायक व 4 सांसद एक ही पार्टी के चुने हों उस पार्टी को विकास के लिए और कितनी राजनीतिक ताकत चाहिए। लेकिन वास्तव में बीजेपी का मकसद अब सत्ता हासिल करना है जनता का विकास नहीं। कमोवेश यह स्थिति देश के तमाम उन राज्यों मेें चली हुई है जिनमें जन भावनाओं को ठग कर बीजेपी की सरकार पसरी हुई है। हिमाचल की जनता बीजेपी के इस सत्ता षड्यंत्र को अब समझ चुकी है।

इस कारण से अब प्रदेश की अफसरशाही भी सत्ता के खिलाफ अंदरूनी जिहाद शुरू कर चुकी है। क्योंकि सरकारी अमला जान चुका है कि सिर्फ कर्जे के लिए कर्जे पर चल रही सरकार में न तो प्रदेश का हित सुरक्षित और न ही अधिकारियों व कर्मचारियों के हित सुरक्षित हैं। जहां जिसका दांव लग रहा है वह लूट-खसोट व भ्रष्टाचार में लगा हुआ है। सरकार के अफसरशाही पर पकड़ निरंतर खत्म होती जा रही है। जिस कारण से प्रचंड बहुमत के बावजूद बीजेपी राज में स्थिति निरंकुश व विस्फोटक होती जा रही है। मनमानी के इस राजनीतिक दौर में आम परिवारों का जीवनयापन निरंतर दुश्वार होता जा रहा है। जबकि प्रदेश में विकास पूरी तरह ठप हो चुका है। जो छिटपुट विकास कार्य पूर्व की योजनाओं के अनुरूप चले हुए हैं। वह भी निरंकुशता के दौर में भ्रष्टाचार की बली चढ़ रहे हैं और प्रदेश की जनता प्रचंड बहुमत के बावजूद हाथ मल रही है और सत्ताधारी सत्ता की हवस में एक-दूसरे के नीचे से कुर्सी खिंचने की जंग में जोर अजमाईश कर रहे हैं।

kirti