देश के हर चुनाव क्षेत्र में जीवन रक्षक दवाईयों की सप्लाई के लिए सरकार स्थापित करे नोडल एजेंसी : राणा

Sunday, Apr 05, 2020 - 05:32 PM (IST)

 

हमीरपुर : राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता राजेंद्र राणा ने कहा है कि कोविड-19 राष्ट्रीय आपदा देश और दुनिया में बड़ा खतरा बनकर सामने आई है। लेकिन संकट काल की इस घड़ी में अभी तक महफूज चल रहे हिमाचल में इन्फेक्टड मरीजों का बढ़ता आंकड़ा चिंता और परेशानी का सबब बनता जा रहा है। लॉकडाउन की इस स्थिति में फिक्र उन मरीजों के लिए भी बढ़ी है जो किसी ने किसी गंभीर बीमारी की चपेट में हैं। ऐसे मरीजों को लॉकडाउन की स्थिति में जीवन रक्षक दवाईयां हासिल करने के लिए भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लॉकडाउन होने के बाद जीवन के लिए बेहद जरुरी इलाज व दवाईयों के लिए यह लोग कहीं आ जा नहीं पा रहे हैं। क्योंकि पीजीआई चंडीगढ़, एम्स दिल्ली के साथ अन्य प्राइवेट अस्पतालों से गंभीर बीमारियों का इलाज करवा रहे मरीजों की अधिकांश दवाईयां हिमाचल में उपलब्ध नहीं हैं।

ऐसे में इन दवाईयों को हासिल करने के लिए उनके सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी गम्भीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में एक नोडल एजेंसी तत्काल प्रभाव से स्थापित करे ताकि गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को घरद्वार दवाईयों मिल सकें। उन्होंने सुझाव दिया है कि इसके लिए हर विधानसभा क्षेत्र में एक नोड़ल ऑफिसर तैनात किया जाए। जिससे गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के परिजन राफ्ता कायम करके जीवन रक्षक दवाईयां मंगवा सकें। उन्होंने कहा कि पिछले 2 दिनों से लगातार ऐसे मरीजों के परिजन उन्हें इस समस्या से निजात दिलाने के लिए गुहार लगा रहे हैं। उन लोगों का कहना है कि लॉकडाउन की इस स्थिति में जब सरकार अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति करवा रही है तो इसी कड़ी में इस अहम आपूर्ति को भी नोडल ऑफिसर के माध्यम से सुनिश्चित करवाए।

इसके लिए लोग शुल्क देने को भी राजी हैं, लेकिन दवाईयां मिले तो सही? इसलिए सरकार ऐसे मरीजों के परिजनों की इस अहम मांग को तत्काल प्रभाव से पूरा करते हुए हर चुनाव क्षेत्र में नोडल एजेंसी स्थापित करे। उन्होंने कहा कि दूसरी ओर लॉकडाउन की इस स्थिति में राज्य के बाहर पढ़ रही या नौकरी कर रही हिमाचली बेटियों के लिए प्रदेश के अभिभावक बेहद परेशान हैं। क्योंकि लॉकडाउन की स्थिति में उनकी बेटियां राज्य के बाहर अकेली या तो किसी पीजी में कैद होकर रह गई हैं या फिर एक कमरे के किराए के घर में कैद हैं। इस समस्या को पहले भी सरकार के समक्ष उठाया गया है लेकिन अभी तक बेटियों के लिए फिक्रमंद अभिभावकों को सरकार कोई राहत नहीं दे पाई है। उन्होंने मांग की है कि अन्य राज्यों की तर्ज पर दूसरे राज्यों में फंसी बेटियों को उनके घर लाने का कोई तरीका सरकार ढूंढे ताकि परेशानी के इस दौर में अभिभावक अपनी बेटियों के घर से बाहर होने के तनाव से मुक्ति पा सकें।

kirti