कांग्रेस-भाजपा ने 43 हारे चेहरों पर फिर खेला दांव

Saturday, Nov 04, 2017 - 01:01 PM (IST)

शिमला (राक्टा): कांग्रेस-भाजपा ने इस बार 43 हारे हुए चेहरों पर फिर से दांव खेला है। इसमें भाजपा ने 28 और कांग्रेस ने 15 हारे हुए नेताओं पर फिर से भरोसा जताया है। दोनों दलों ने कई नेताओं को पार्टी में उनकी वरिष्ठता को ध्यान में रखकर ओहदा दिया है जबकि कई स्थानों पर दोनों राजनीतिक दल बेहतर विकल्प को तलाश नहीं पाए। जिन स्थानों पर चुनाव हार चुके नेता मैदान में हैं, उनमें से कुछ पहले मंत्री और विधायक रह चुके हैं, साथ ही कई नेता विधायक तो नहीं बन पाए, फिर भी पार्टी ने उनको टिकट दिया है। कई ऐसे हारे नेताओं को भी टिकट दिया गया है, जो पहले बतौर आजाद प्रत्याशी बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहे हैं। इसमें से कुछ ने दल बदलकर भी टिकट झटकने में सफलता पाई है। भाजपा की तरफ से चुनाव हारने वाले 12 नेता पहले मंत्री और विधायक रह चुके हैं। इसी तरह कांग्रेस में हारे मंत्री और विधायकों की संख्या 10 है। 


6 विधायकों के टिकट कटे
भाजपा-कांग्रेस ने हारे हुए नेताओं को टिकट देने के अलावा इस बार 6 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे हैं। इसमें भाजपा ने मौजूदा 4 विधायकों रिखी राम कौंडल, बी.के. चौहान, डा. अनिल धीमान और गोविंद राम शर्मा के टिकट काटे हैं। इसी तरह कांग्रेस ने 2 मौजूदा विधायकों नीरज भारती और खूबराम का टिकट काटा है। 


विधानसभा में नजर नहीं आएंगे बुटेल-स्टोक्स 
विधानसभा अध्यक्ष बृज बिहारी लाल बुटेल और सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री विद्या स्टोक्स सहित 7 नेता इस बार विधानसभा में नजर नहीं आएंगे। इनमें बृज बिहारी लाल बुटेल ने अपने बेटे आशीष बुटेल को टिकट दिलवाकर मैदान छोड़ा है। विद्या स्टोक्स पहले चुनाव लडऩे को तैयार नहीं थीं लेकिन अंतिम समय में जल्दबाजी में नामांकन पत्र भरने के कारण उनका नामांकन रद्द हो गया। रिखी राम कौंडल, गोविंद राम शर्मा, डा. अनिल धीमान, नीरज भारती और खूब राम टिकट न मिलने से इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इसके अलावा चुनाव हारने के कारण भी कुछ नेता विधानसभा पहुंचने से वंचित रह सकते हैं। 


भाजपा ने सशक्त चेहरों को बनाया प्रत्याशी : सत्ती
हिमाचल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि भाजपा ने सशक्त चेहरों को अपना प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी के तौर पर प्रो. प्रेम कुमार धूमल को प्रोजैक्ट करने के साथ भाजपा अब मिशन 50 प्लस की बजाए 60 प्लस की ओर बढ़ रही है।