कंपनियों के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा उड़ानों का क्रम

Monday, Jan 29, 2018 - 01:01 PM (IST)

कुल्लू (शम्भू प्रकाश): किसी योजना को धरातल पर उतारने में वक्त तो लगता है लेकिन जब वक्त बहुत ज्यादा लगे तो योजना के धरातल पर उतरने की उम्मीदें धूमिल होने लगती हैं। भुंतर स्थित कुल्लू-मनाली हवाई अड्डे को लेकर भी अब लोगों के मन में उहापोह की स्थिति है। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण को लेकर तमाम औपचारिकताएं पूरी होने के बाद अब गेंद प्रदेश सरकार के पाले में है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अपनी ओर से सारे कार्य पूरे करने की बात कही है और रन-वे बढ़ाने के लिए सिविल वर्क प्रदेश सरकार को करवाना है। प्रदेश में अब भाजपा के सत्तासीन होने के बाद लोगों को फिर से उम्मीद है कि इस मसले पर कुछ हो जाएगा। भुंतर एयरपोर्ट का रन-वे मौजूदा दौर में 1052 मीटर है। इसको 600 मीटर और बढ़ाने की योजना है। 


आई.आई.टी. रुड़की की टीम ने कुछ वर्ष पूर्व दौरा करके रन-वे बढ़ाने के लिए रिपोर्ट तैयार की थी। मौजूदा रन-वे के साथ गुजर रही ब्यास नदी को रन-वे के अंत में जाकर सीधा किए जाने का सुझाव भी रिपोर्ट में शामिल रहा। मौजूदा रन-वे के अंतिम बिंदु के पास नदी के रुख को हल्का-सा सीधा करने पर रन-वे 600 मीटर और बढ़ जाएगा। यह सिविल वर्क प्रदेश सरकार को करवाना है लेकिन प्रदेश सरकार इस मामले में हाथ पीछे खींचती रही है। एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के लिए साथ लगती करीब 400 बीघा जमीन भी चिन्हित की गई थी लेकिन इसके अधिग्रहण की प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। मौजूदा दौर में छोटे रन-वे की वजह से हवाई सेवाएं मुहैया करवाने वाली कंपनियों के लिए भी उड़ानों का क्रम घाटे का सौदा साबित हो रहा है, ऐसे में कंपनियां भी कुल्लू-मनाली एयरपोर्ट के लिए सेवाएं देने से कतराने लगी हैं। 


72 सीटर जहाज 50 से 55 यात्रियों को लेकर भर रहे उड़ान
मौजूदा दौर में छोटे रन-वे की वजह से 72 सीटर जहाज को भी 50 से 55 यात्रियों को लेकर ही दिल्ली से भुंतर के लिए उड़ान भरनी पड़ रही है। वापसी पर 28 से 30 यात्रियों को ही ले जाने की अनुमति है, ऐसे में पूरे खर्चे में जहाज यात्रियों से आधा भी नहीं भर पा रहा है। क्षमता के मुताबिक भार ले जाने के लिए लंबे रन-वे की आवश्यकता है। क्षमता के हिसाब से भार की स्थिति में लंबे रन-वे पर दौड़ने के बाद ही जहाज टेकऑफ कर पाएगा लेकिन फिलहाल भुंतर एयरपोर्ट पर यह सुविधा नहीं है। पर्यटन की स्थिति को देखते हुए 72 सीटर जहाज तो भुंतर स्थित कुल्लू-मनाली हवाई अड्डे के लिए शुरू कर दिया गया लेकिन रन-वे छोटा होने से सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई पाबंदियों के चलते इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालांकि सरकार ने राज्य में छोटी उड़ानें देने की भी बात कही है लेकिन इसके लिए पवन हंस ही सेवाएं देगा। 


डी.वी.आर. सिस्टम से मिह्यह्यह्यलेगी मदद
कुल्लू और मंडी जिला की सीमा पर स्थित थाची गांव में स्थापित होने वाले डी.वी.आर. (डॉप्लर वैरी हाई फ्रीक्वैंसी आमनी रेंज) सिस्टम से कुल्लू-मनाली एयरपोर्ट पर दिन-रात हर तरह के मौसम में जहाजों को उतारने में मदद मिलेगी। इसके लिए थाची में एक टीले पर एक एकड़ जमीन भी फाइनल कर दी गई है। एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने थाची के लिए डी.वी.आर. सिस्टम के तमाम इक्यूपमैंट भी करीब एक वर्ष पूर्व खरीद रखे हैं लेकिन थाची में सिविल वर्क सिरे न चढ़ पाने से इनकी स्थापना का कार्य लटका पड़ा है। इस जमीन तक कच्ची सड़क तो बन गई और इस सड़क को पक्का करने व अन्य कार्य के लिए प्रदेश सरकार को एयरपोर्ट अथॉरिटी ने पत्र लिखा है। इस सिस्टम की स्थापना से कुल्लू-मनाली एयरपोर्ट आ रहे जहाज के पायलट के लिए खराब मौसम में भी 5 किलोमीटर आगे तक की विजिबिलिटी क्लीयर रहेगी। पहाड़ी क्षेत्र में भी यह सिस्टम पायलट को सही रास्ता दिखाएगा। सही रास्ते से हल्का-सा बाहर जाने पर भी सिस्टम एरर शो करते हुए पायलट और एयरपोर्ट अथॉरिटी को सावधान करेगा। 


डी.वी.आर. के साथ उचित रन-वे भी जरूरी
डी.वी.आर. सिस्टम की स्थापना के साथ-साथ एयरपोर्ट के रन-वे को बढ़ाना भी जरूरी है। क्षमता के अनुसार भार लेकर चल रहे बड़े जहाज उतारने के लिए रन-वे के सैंटर प्वाइंट पर ही लैंडिंग का प्रावधान है। यदि इस बिंदु पर जहाज को नहीं उतारा तो इससे जहाज का आगे का या पीछे का हिस्सा रन-वे से टकराने का खतरा रहता है। इसलिए थाची में डी.वी.आर. सिस्टम की स्थापना के साथ-साथ रन-वे को 600 मीटर बढ़ाना नितांत आवश्यक है, अन्यथा इस सिस्टम की स्थापना का कोई औचित्य ही नहीं रहेगा।