गैस्ट फैकल्टी कोई परमानैंट जॉब नहीं, घंटे के आधार पर मिलेंगे पैसे : सुक्खू

Wednesday, Jan 17, 2024 - 09:44 PM (IST)

गलोड़ (पुनीत/मिलाप): मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि गैस्ट फैकल्टी का गलत मतलब समझा जा रहा है। यह कोई परमानैंट जॉब नहीं है। इस पॉलिसी को समझने की जरूरत है। सरकार बच्चों की पढ़ाई बाधित होने नहीं देना चाहती है इसलिए गैस्ट फैकल्टी शुरू की गई है। अगर कोई अध्यापक एक सप्ताह तक स्कूल या काॅलेज नहीं आता है तो गैस्ट फैकल्टी पॉलिसी शुरू की जा रही है। एक घंटे के लिए बच्चों को पढ़ाना है तो टीचर कहते हैं कि एक घंटे के पैसे कौन देगा। अब उन्हें एक घंटा पढ़ाने के पैसे मिलेंगे। टीचर रखने की जिम्मेदारी संबंधित प्रधानाचार्य की होगी। गैस्ट फैकल्टी का चयन नैट, सैट या जेआरएफ की मैरिट के आधार पर होगा। स्कूल में टीचर छुट्टी पर होता है तो इस पॉलिसी के आधार नए टीचर रखकर बच्चों की पढ़ाई सुचारू रखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का विजन स्पष्ट है कि बच्चों की पढ़ाई का नुक्सान न हो इसलिए इस पॉलिसी को लाया गया है।

पूर्व भाजपा सरकार ने जनमंच कार्यक्रम पर व्यय किए थे 36 करोड़ रुपए
गलोड़ में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री ने नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर द्वारा की जा रही बयानबाजी पर कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने जनमंच कार्यक्रम पर लगभग 36 करोड़ रुपए व्यय किए थे जबकि वर्तमान कांग्रेस सरकार इन कार्यक्रमों पर कोई भी पैसा खर्च नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जनता की सेवा करने के लिए सत्तासीन हुई है और यह जनता के लिए सेवा मंच है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूत करने की है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने कड़दोह (पनयाली) में कपाड़ा पुल का शिलान्यास करने के बाद फाहल में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भवन की आधारशिला और गांव बुधवीं में उठाऊ पेयजल योजना फाहल-कोटलू का शिलान्यास किया।
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Content Writer

Vijay