CM जयराम ने खोली पूर्व सरकार के कारनामों की पोल, राहुल की मंडी रैली पर साधा निशाना

Friday, Mar 16, 2018 - 11:15 PM (IST)

शिमला: वित्तीय वर्ष 2018-19 के बजट पर विधानसभा में 4 दिन तक चली चर्चा शुक्रवार को संपन्न हो गई। चर्चा के अंतिम दिन मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने पूर्व कांग्रेस सरकार पर जमकर हमले बोले और सरकार के अंतिम 6 महीनों के दौरान बिना वित्त विभाग की मंजूरी के की गई घोषणाओं की भी कलई खोली। सी.एम. ने कहा कि तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम 6 महीनों में प्रदेश में 162 अलग-अलग संस्थान खोले लेकिन वित्त विभाग से मंजूरी सिर्फ  18 संस्थानों की ही ली। इनमें 51 प्राइमरी स्वास्थ्य केंद्र, 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 26 उप स्वास्थ्य केंद्र, एक होटल मैनेजमैंट संस्थान, 2 पॉलीटैक्नीक कालेज, 15 आई.टी.आई., 39 प्राइमरी स्कूल और 16 कालेज शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने पूछा कि ऐसे में इन संस्थानों की सरकार पुन: समीक्षा क्यों न करे।

कांग्रेस ने आखिरी 6 महीनों में दिया 10 करोड़ रुपए बेरोजगारी भत्ता 
मुख्यमंत्री ने बजट को प्रदेश की गरीब जनता, किसानों, बागवानों और बेरोजगारों सहित सभी वर्गों के लिए समर्पित बताया। उन्होंने विपक्ष के इन आरोपों को भी गलत करार दिया कि सरकार ने बेरोजगारी भत्ता बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस कार्य के लिए बजट में 40 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जबकि बेरोजगारी भत्ते का वायदा कांग्रेस ने 2012 के विधानसभा चुनाव में किया था और सरकार के आखिरी 6 महीनों में महज औपचारिकता के लिए केवल 10 करोड़ रुपए का ही बेरोजगारी भत्ता दिया गया। उन्होंने कांग्रेस के बेरोजगारी भत्ते की घोषणा को राज्य के बेरोजगार लोगों के साथ क्रूर मजाक भी करार दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने सड़कों की स्थिति सुधारने के लिए प्रभावी कदम उठाए हैं और पर्याप्त बजट का भी प्रावधान किया है।

वन, खनन और ऊर्जा क्षेत्र से बढ़ाएंगे आय के साधन
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार वन, खनन तथा ऊर्जा क्षेत्र से आय बढ़़ाने के लिए कृतसंकल्प है और इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में बकाया करों की वसूली तथा निवेश संवद्र्धन पर विशेष बल दिया है। उन्होंने कहा कि बकाया करों की वसूली को द हिमाचल प्रदेश सैंटलमैंट पैंडिंग असैसमैंट केस बिल-2018 लाया जाएगा।  उन्होंने बजट में घोषित 28 योजनाओं का अलग-अलग जिक्र भी किया और कहा कि प्रदेश के बजट में पहली बार घोषित हर योजना के लिए बजट का प्रावधान किया गया है।

पूर्व सरकार के कारण ही लेना पड़ेगा 7444 करोड़ का ऋण
मुख्यमंत्री ने ऋण के मामले पर भी विपक्ष पर हमला बोला और कहा कि वीरभद्र सिंह सरकार ने पिछले कार्यकाल में 18,787 करोड़ रुपए का अतिरिक्त ऋण ले डाला। इससे प्रदेश पर ऋणों का बोझ बढ़कर 46,385 करोड़ रुपए हो गया। उन्होंने कहा कि इतने बड़े ऋण के कारण केवल 2018-19 में प्रदेश सरकार को 4,260 करोड़ रुपए ब्याज अदायगी तथा 3,184 करोड़ ऋण अदायगी के रूप में चुकाने होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसे में 7444 करोड़ रुपए ऋण तो हमें पूर्व सरकार के कारण की लेना पड़ेगा। जयराम ठाकुर ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रदेश में सत्ता की बागडोर संभालने के बाद अभी तक 1124 करोड़ रुपए का ऋण लिया है। इसमें से 1038 करोड़ रुपए पहले के ऋणों की अदायगी और ब्याज के भुगतान पर खर्च किए गए। ऐसे में मौजूदा सरकार ने वास्तव में केवल 86 करोड़ रुपए का ही ऋण लिया है।

बी.बी.एम.बी. हिस्से की बकाया राशि को सरकार गंभीर
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार प्रदेश के लिए घोषित 69 राष्ट्रीय राजमार्गों में से केवल 8 की डी.पी.आर. के लिए विशेषज्ञ नियुक्त कर पाई। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने 47 एन.एच. के लिए विशेषज्ञ तैनात करने की कार्रवाई शुरूकर दी है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बी.बी.एम.बी. से अपने हिस्से की बकाया राशि हासिल करने के लिए सरकार इस मामले के निपटारे के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। 

सरकारी स्कूलों में 5 वर्षों के दौरान 18.6 फीसदी घटी छात्रों की संख्या
मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि बीते 5 साल में सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या 18.6 फीसदी घटी है, जो गंभीर ङ्क्षचता का विषय है। उन्होंने सवाल उठाया कि बच्चे कम होकर कहां जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक तरफ पूर्व कांग्रेस सरकार स्कूल खोले जा रही थी और दूसरी तरफ  बच्चों की संख्या कम हो रही थी। उन्होंने कहा कि विद्याॢथयों के गिरते स्तर में सुधार करना होगा, तभी राज्य में शिक्षा का स्तर उठेगा।

आवासीय विद्या केंद्र के लिए बनेगी अलग ट्रांसफर पॉलिसी
मुख्यमंत्री ने कहा कि बजट में 10 मुख्यमंत्री आवासीय विद्या केंद्र खोलने की घोषणा की गई है और यह योजना सफल होगी और फिर हर हलके में ऐसे विद्यालय खोले जाएंगे। इनमें सारी सुविधाएं होंगी और यहां तैनात शिक्षकों के लिए ट्रांसफर की भी अलग पॉलिसी होगी। उन्होंने कहा कि गौसदनों के लिए जो जमीन दी जाएगी, वह पशुपालन विभाग के नाम होगी।

वाकआऊट का अंदेशा था, विपक्ष की बन गई मानसिकता
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष का विरोध केवल विरोध के लिए है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के वाकआऊट का उन्हें अंदेशा था और यह उनकी मानसिकता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सदस्यों ने बजट का अध्ययन नहीं किया। सी.एम. ने कहा कि यह उनका पहला बजट था और इस दौरान विपक्ष ने खबर के लिए वाकआऊट की रस्म अदायगी की। यह नहीं होना चाहिए था। उनका कहना था कि प्रदेश की जनता ने इस बजट को सराहा है और अच्छा बजट माना है। उन्होंने कहा कि यह बजट विजन से परिपूर्ण है और कम संसाधन होने के बावजूद अच्छा बजट देने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि इस वर्ग में समाज के हर वर्ग का ध्यान रखा गया है।

पूर्व सरकार में करोड़ों की शराब उधार में बेच दी
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार की गलत आबकारी नीति के कारण प्रदेश को भारी वित्तीय राजस्व का नुक्सान उठाना पड़ा, ऐसे में वर्तमान सरकार ने पूर्व सरकार की गलत नीतियों को समाप्त करते हुए पारदर्शी आबकारी नीति की घोषणा की है। इसके तहत छोटे-छोटे यूनिट बनाए गए हैं ताकि छोटे शराब के व्यवसायी भी भागीदार कर सकें। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने तो बिना विभागीय प्रस्ताव के कैबिनेट में एच.पी. बिवरेज लिमिटेड (एच.पी.बी.एल.) के गठन का निर्णय लिया। एच.पी.बी.एल. के अधिकारियों ने बिना धन लिए करोड़ों रुपए की शराब उधार पर बेच दी। पूर्व सरकार में एच.पी.बी.एल. का गठन होलसेल शराब की बिक्री के लिए किया गया था लेकिन आश्चर्य है कि वर्ष 2016-17 में एक प्राइवेट कंपनी मैसर्ज ब्ल्यू लाइन को प्रदेश में शराब के गोदाम खोलने की अनुमति दे दी। 

शराब तो महंगी हुई पर राजस्व कम हो गया 
वर्ष 2017-18 में आबकारी नीति में एन-1 डी तथा एल 13 डी लाइसैंस की अनुमति दी, जिस कारण एच.पी.बी.एल. को शराब के उत्पादकों को 1 अप्रैल, 2017 से दिसम्बर, 2017 तक 12 करोड़ रुपए का भुगतान करना पड़ा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में एच.पी.बी.एल. के गठन से जब शराब महंगी हो गई तो शराब के अधिकतम बिक्री मूल्य को हटा दिया गया, जिससे प्रदेश में शराब और महंगी हो गई। उन्होंने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि वर्ष 2017-18 में शराब तो महंगी हो गई लेकिन पहली बार प्रदेश सरकार का शराब से राजस्व 2016-17 से भी कम हो गया।

दावा 19 हजार, प्रदान की 3660 नौकरियां
मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार ने बीते वर्ष 19 हजार पदों को भरने का दावा वर्ष 2017-18 के बजट भाषण में किया था, लेकिन सरकार ने बीते वर्ष दिसम्बर माह तक कर्मचारी चयन आयोग हमीरपुर के माध्यम से 2944 और लोक सेवा आयोग ने 716 पद भरने की संस्तुति दी। इससे स्पष्ट है कि पूर्व सरकार ने सरकारी नौकरियों के झूठे वायदे व आंकड़े पेश किए।

कांग्रेस ने सरकारी खर्च पर की राहुल गांधी की मंडी रैली
मुख्यमंत्री ने फिजूलखर्जी पर भी कांग्रेस को घेरा और कहा कि कांग्रेस ने सरकारी खर्च पर राहुल गांधी की मंडी में रैली करवाई। रैली में लोगों को लाने के लिए एच.आर.टी.सी. की बसें लगाई थीं और उसका 75 लाख रुपए किराया सरकार ने अदा किया। उन्होंने कहा कि 7 अक्तू बर, 2017 को हुई रैली में भीड़ एकत्रित करने के लिए ऐसा किया गया लेकिन भीड़ फिर भी नहीं जुटी। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित फाइल बीते दिन ही उनके पास आई है। उन्होंने कहा कि इसके संसाधन जुटाने के लिए पूर्व सरकार ने कैबिनेट सब कमेटी बनाई लेकिन उसकी रिपोर्ट कैबिनेट में पहुंची ही नहीं। रिसोर्स मोबलाइजेशन कमेटी के अध्यक्ष हर्षवर्धन चौहान ने भी अपनी रिपोर्ट उस दिन सी.एम. को दी, जिस दिन आचार संहिता लगी। 

16 घंटे 49 मिनट तक चली चर्चा
विधानसभा अध्यक्ष डा. राजीव बिंदल ने बताया कि राज्य के अगले वित्त वर्ष के बजट पर विधानसभा में 16 घंटे 49 मिनट चर्चा हुई। इसमें 47 सदस्यों ने हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि विधानसभा के इतिहास में यह सबसे लंबी चर्चाओं में से एक थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में बजट चर्चा 12 घंटे 44 मिनट चली और इसमें 30 सदस्यों ने भाग लिया था। इसी तरह वर्ष 2016 में 19 घंटे 5 मिनट चर्चा चली और 45 सदस्यों ने भाग लिया। वर्ष 2017 में 16 घंटे चर्चा चली और 39 सदस्यों ने भाग लिया।

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