छितकुल मंदिर का कपाट 6 महीने के लिए बंद, अब देवी मां यहां से देगी अपने भक्तों को दर्शन

Thursday, Nov 02, 2017 - 11:36 AM (IST)

आनी : हिमाचल प्रदेश के लोगों की आस्था के प्रमुख केंद्र व धार्मिक स्थल जिला किन्नौर के अंतिम गांव छितकुल में देवी माता के प्रसिद्ध मंदिर में देशभर के यात्री दर्शन करने आते हैं। हिम संस्कृति संस्था की सर्वेक्षण टीम के सदस्यों ने छितकुल गांव व मंदिर का दौरा किया, जिसमें मेलों व त्यौहारों आदि परंपरा पर पूरा विवरण दर्ज किया गया। गांव छितकुल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है।

लोग देवी माता छितकुल के आदेशानुसार पूरा साल करते है काम
यहां के लोग देवी माता छितकुल के आदेशानुसार पूरा साल काम करते हैं। मंदिर कमेटी के कारदार भागरतन और कमेटी सदस्य प्यार सिंह, पुजारी सुशील, रजनीश ठाकुर व राम सिंह नेगी आदि ने बताया कि देवी माता छितकुल के प्राचीन इतिहास के अनुसार देवी माता छितकुल देवता बद्रीनाथ विशाल की पत्नी के रूप में पूजी जाती हैं। गांव छितकुल में फुलैच मेला, विशु मेला व पुष्प मेला आदि वार्षिक उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं। हिम संस्कृति संस्था सर्वेक्षण टीम के प्रभारी प्रिंसिपल कंवर चौहान, अध्यक्ष एस.आर. शर्मा, उपाध्यक्ष छविंद्र शर्मा, ललित ठाकुर, तहसीलदार दलीप शर्मा, दीक्षा नेगी, प्रिया नेगी, नितिका नेगी, सूरज कुमारी, विजय कुमार व जगत पाली आदि मंदिर कमेटी के सदस्य तथा गांव छितकुल युवा मंडल व महिला मंडल के सदस्य उपस्थित थे।

अंतिम दिन पहाड़ी रीति-रिवाज अनुसार बांटा प्रसाद 
मंदिर कमेटी के सदस्य रजनीश ठाकुर ने बताया कि मई से अक्तूबर तक संैकड़ों श्रद्धालु देवी माता के दर्शन कर चुके हैं तथा 31 अक्तूबर को देवी माता ने गांव छितकुल की परिक्रमा की और परंपरा अनुसार मंदिर में पूजा-अर्चना पूरी की गई। इस मौके पर किन्नौर क्षेत्र के सांगला, छितकुल, रक्षम, रिकांगपियो, कल्पा, भावानगर, पोवारी व करछम आदि क्षेत्रों के लोग शामिल हुए। मंदिर कमेटी के सदस्यों ने बताया कि देवी माता छितकुल मंदिर के कपाट 6 महीनों के लिए बंद कर दिए गए हैं। देवी माता जोकि रथ में सभी को दर्शन देती हैं, अब मंदिर के अंदर विराजमान कर दी गई हैं। 6 महीनों के लिए देवी माता मंदिर में कोई भी पूजा-पाठ व अन्य धार्मिक कार्यक्रम बंद कर दिए गए हैं। अब देवी माता छितकुल के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए अप्रैल माह में खोले जाएंगे। मंदिर के कपाट बंद करने के अंतिम दिन पहाड़ी रीति-रिवाज अनुसार सभी को देवी माता का प्रसाद बांटा गया।